आनंद और शांति की सादगी

आनंद और शांति की सादगी

क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य खाना–पीना नहीं, परन्तु धर्म (वह स्थिति जो एक व्यक्ति को परमेश्वर के सामने स्वीकार्य बनाती है) और मेलमिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है। रोमियों 14:17

कई साल पहले, मेरे मन में यह विचार आया था: जीवन कभी भी इतना जटिल नहीं होना चाहिए। अंदर कुछ छिपा हुआ था, जो लगातार मेरे अंदर से आनंद को बाहर निकाल फेंक रहा था। मुझे समझ आया कि मैं विश्वास करने के बजाय संदेह कर रही थी। मैं मेरे जीवन के प्रति परमेश्वर की बुलाहट पर संदेह कर रही थी, यह सोचते हुए कि क्या वह हमारी जरूरतों को पूरा करेगा, मेरे निर्णयों और कार्यों पर सवाल उठाते हुए।

मैं सकारात्मक होने की जगह नकारात्मक हो गयी थी। मैं विश्वास करने के बजाय संदेह कर रही थी।

संदेह सब कुछ जटिल बना देता है। यह आपके दिल के दरवाजे से रेंगता हुआ अंदर आता है, आपके मन को तर्क से भरते हुए जो नकारात्मकता की ओर ले जाता है। यह आपके जीवन की परिस्थितियों या स्थितियों के इर्द-गिर्द घूमते रहता है, उनके लिए उत्तर खोजने का प्रयास करते हुए।

परमेश्वर का वचन हमें अपने स्वयं के उत्तरों की खोज करने का निर्देश नहीं देता है। हालांकि, हमें निर्देश दिया गया है कि हम अपने पूरे मन और प्राण से परमेश्वर पर भरोसा रखें (नीतिवचन 3:5)। जब हम उन सरल दिशानिर्देशों का पालन करते हैं जिन्हें प्रभु ने हमारे लिए निर्धारित किया है, तब वे हमें निःसंकोच रीती से उसके करीब लाएंगे, जिससे हम आनंद और शांति से जीवन जिएंगे।

जब संदेह आपके दरवाजे पर दस्तक दे, तब विश्वास के साथ जवाब दें, और आप हमेशा जीत को बनाए रखेंगे।


आनंद कभी भी अविश्वास से उत्पन्न नहीं होता है बल्कि हमेशा वहीं मौजूद रहता है जहां विश्वास होता है।

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