परमेश्वर पर भरोसा करना

परमेश्वर पर भरोसा करना

…आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। -गलातियों 5:16

मैं विश्वास करती हूँ कि हर बार जब हम निराशा का सामना करते है, इसका अर्थ है कि हमने परमेश्वर पर निर्भर रहना बंद कर दिया है। यह आपके लिए एक निडर वाक्य प्रतीत हो सकता है, पर इसके बारे सोचें परमेश्वर ने आपको और मुझे अपना पवित्र आत्मा और अपना अनुग्रह कुछ भी जो हमारे मार्ग में आता से होकर निकलने के लिए दिया है। निराशा तब आती जब हम उस पर निर्भर करना बंद कर देते और हमारे अपने ढंग से कुछ करने का प्रयास करते है।

इसको समझने से सचमुच मेरी सहायता हुई हैं। जब कभी भी मैं निराश हुई, मैंने स्वयं को याद कराया कि मैं असल में पवित्र आत्मा का स्थान लेने का प्रयास कर रही थी। मैं जुनियर पवित्र आत्मा होने का प्रयास कर रही थी!

क्या आप एक आजाद आत्मा के साथ संघर्ष करते है? जब आप परमेश्वर पर निर्भर रहने से इन्कार करते हो, सारांश में आप कह रहे है, “ठीक है, मैं प्रशंसा करता हूँ कि आप आस-पास है, पर मुझे आप यह करते हुए देखें।” सब बातों के लिए परमेश्वर पर निर्भर होना मुश्किल हो सकता है, पर यह जय की वह कुंजी है जो हमारे जीवनों के प्रत्येक दिन हमें चाहिए।

जब परमेश्वर ने हमारा उद्धार किया, उसने हमारी सहायता करके ऐसा नहीं कहा, “ठीक है, यह हो गया। अब आप खुद संभाले!” उसने हमें अनन्तकाल के लिए बाचाया है, जिसका अर्थ है कि अगर हम उस पर निर्भर रहते है, वह हमारा मार्गदर्शन करेगा और हमारी सहायता करेगा।

गलातियों 5:16 हमें पवित्र आत्मा में चलने और जीवन व्यतीत करने की विनती करता है…तब तुम शरीर की कामनाओं और लालसाओं को पूरा नहीं कर पाओगे। ध्यान दो कि यह ऐसा नहीं कहता शरीर पर व्यक्तिगत जय प्राप्त करें। …तब तुम निश्चय शरीर की लालसाओं को संतुष्ट नहीं करोगे।” नहीं, यह कहता है पवित्र आत्मा में जीवन व्यतीत करो।
स्वतंत्र रूप से जीवन व्यतीत करने को चुनना बंद करे और इस की बजाए पवित्र आत्मा पर निर्भर रहें। मैं वायदा करती हूँ कि आप इसके लिए पछताएंगे नहीं।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सारी जरूरत आप है। स्वयं में भरोसा ना करने, पर आप में मेरा भरोसा रखने और आप पर निर्भर होने में मेरी सहायता करें।

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