पहली चीज़ पहले

पहली चीज़ पहले

इसलिए पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म (करने के उसके तरीके  और सही होने) की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। -मत्ती 6:33

बहुत अधिक समय हम अपना पूरा समय अपनी समस्याओं के उत्तर के लिए परमेश्वर को खोजते हुए व्यतीत कर देते हैं, जबकि हमें केवल परमेश्वर को खोजना चाहिए।

जब तक हम परमेश्वर को ढूँढ़ते हैं तब हम गुप्त स्थान में रहते हैं और उसके पंखो की छाया में रहते हैं। भजन संहिता 91:4 कहता है, “वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा और तू उसके पंखो के नीचे शरण पाएगा,” उसकी सच्चाई तेरे लिए ढ़ाल और झिलम ठहरेगी। जब हम सभी समस्याओं और परिस्थितियों का उत्तर खोजना प्रारंभ करते हैं जिनसे हमारा सामना होता है तब परमेश्वर की इच्छा के बजाए स्वयं की इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं और हम परमेश्वर के पंखो की छाया से बाहर आ जाते हैं।

बहुत वर्षों तक मैंने परमेश्वर को इस विषय में खोजा कि मैं अपनी सेवकाई को कैसे बढा़ सकती हूँ। परिणाम यह था कि वह वैसा ही बना रहा जैसा था। वह कभी नहीं बढ़ा, कभी कभी यह पीछे की ओर चला गया। जो बात मैंने नहीं समझी वह थी कि मुझे केवल परमेश्वर के राज्य की खोज करनी थी और बाकि वह करता।

क्या आप जानते हैं कि आपको अपनी आत्मिक वृद्धि की भी चिंता नहीं करनी चाहिए? आपको केवल राज्य की खोज करनी है और आप बढ़ेंगे। परमेश्वर को खोजो और उसमें बने रहो वह बढ़ती होने देगा।

एक बच्चा दूध पीता है और बढ़ता है। हमें केवल वचन के शुद्ध दूध की इच्छा करनी है और हम बढ़ेंगे। (1 पतरस 2:2 देखिए) हम कभी भी अपने मानवीय प्रयास के द्वारा सफ़लता के वास्तविक माप को अनुभव नहीं करेंगे इसके बजाए हमें अवश्य ही पहले परमेश्वर के राज्य और धार्मिकता की खोज करनी है; तब यह सभी अन्य बातें जिनकी हमें ज़रूरत है हमें दी जाएँगी।

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