हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, मैं भोर को प्रार्थना करके तेरी बाट जोहूँगा। – भजन संहिता 5:3
परमेश्वर की आवाज़ को पहचानने सीखने के दौरान आपको शांत होने के लिए समय निकालना है ताकि अपने जीवन में परमेश्वर की अगुवाई को सुन सकें। एक व्यस्त जल्दबाज़ी वाला तनावग्रस्त जीवन ज़रिया परमेश्वर को सुनना बहुत चुनौती भरा बना देता है।
परमेश्वर के सामने शांत बैठने का एक स्थान पाइए, उसके साथ अकेले होइए और उससे कहिए कि, आपको उसकी ज़रूरत है और ज़रूरत है कि वह सिखाए कि कैसे सुनना है। उससे कहें कि आपके जीवन के लिए उसके पास क्या है। उसे पूछिए कि वह क्या चाहता है कि आप करें। उससे कहें कि आपको दिखाए कि आप ऐसा क्या कर रहे हैं जो वह नहीं चाहता है कि आप करें। अपने आपको उसके सामने प्रस्तुत करें और ध्यान दें। चाहे आप उससे नहीं सुनते हैं परन्तु उसको खोजने के द्वारा आप उसका आदर करेंगे। वह प्रतिज्ञा करता है कि यदि आप उसे खोजते हैं तो उसे पाएँगे, आप परमेश्वर से एक शब्द सुनेंगे, आप एक आन्तरिक ज्ञान, और सामान्य बुद्धि के द्वारा वह आपकी अगुवाई करेगा।
मैंने पाया है कि परमेश्वर हमेशा अनिवार्यरूप से हमारी प्रार्थना के दौरान या तुरन्त ही बात नहीं करता है। वह आपसे दो दिन बाद भी बात कर सकता है जब आप कुछ ऐसा कर रहे हों जो पूरी रीति से असम्बद्ध हो। मैं पूरी रीति से नहीं जानती हूँ कि परमेश्वर कभी कभी उत्तर देने के लिए क्यों इंतज़ार करता है। परन्तु मैं जानती हूँ कि यदि हम उसकी खोज में गंभीर होंगे। यदि हम उसे दिखाते हैं कि हमें उसकी इच्छा की ज़रूरत है वह हम से बात करेगा। “जब कभी तुम दाहिनी या बाईं और मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।” (यशायाह 30:21) शायद यह हमारे समय में नहीं होगा परन्तु परमेश्वर हमसे वह रास्ता बताएगा जिसमें हमको जाना चाहिए।
जब आप परमेश्वर से उत्तर के लिए इंतज़ार करते हैं उसकी आज्ञा पालन करने में ध्यान केन्द्रित कीजिए कि आप एक शुद्ध विवेक रख सकें। आप में आनंद नहीं होगा यदि परमेश्वर ने आपसे कुछ करने के लिए कहा हो और आपने उसका पालन नहीं किया हो। परन्तु यदि आप परमेश्वर की आवाज़ का अनुकरण करते हैं आप अद्भुत रीति से आशीषित होंगे।