शैतान के झूठ

शैतान के झूठ

(यीशु ने कहा)

तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरंभ से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नही: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है। – यूहन्ना 8:44

शैतान झूठ बोलता है। वास्तव में शैतान सच बोलना नहीं जानता।

अधिकांश मसीही यह जानते हैं-और वे फिर भी उसके बुरे शब्दों को सुनते हैं। कभी ऐसा लगता है कि झूठ बिना किसी के हमारे मनों में प्रवेश कर रहा है; कभी शैतान दूसरों के द्वारा हमसे बातें करता है। वह हमारे बारे में दूसरों के मन में कुछ नाजुक और नुकसानदायक बातें डाल देता है और वह हमें सुनाने के लिए यह बातें बोलते है। यदि हम उन बातों पर ध्यान देते या ग्रहण करते है तो हमारा शत्रु आनंदित होता है। यदि हम बहुत समय तक उन छल भरी सूचनाओं पर ध्यान देते हैं, तो हम स्वयं को गंभीर समस्याओं का सामना करते पाएँगें।

असत्य और शैतानी धोखे पर ध्यान देने और आत्मसात करने के बदले आप यीशु के कार्यों पर दृष्टि लगा उसके आदर्शों का अनुकरण कर सकते हैं। चालीस दिनों तक जंगल में उपवास करने के बाद, शैतान ने तीन बार उसकी परीक्षा की। प्रत्येक बार उसने ‘‘वचन में यह लिखा है” कहकर और परमेश्वर के वचन का उद्धरण देकर शैतान को पराजित किया। इसमें आश्चर्य नहीं कि शैतान वहाँ से भाग गया; (मत्ती 4:1-11 देखें)। परमेश्वर के वचन की सत्यता को सीखें और हर बार जब शैतान आपसे झूठ बोलता है, वचन का उद्धरण दे। शैतान को पलटकर जवाब देना सीखें।

बहुत सारे लोग नहीं जानते कि शैतान के झूठ को पराजित करने के लिए वचन का प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए। बहुत से लोग यहाँ तक कि मसीही भी नहीं जानते कि वे उस आवाज को सुनने से इनकार कर सकते हैं। बहुत सारे लोग नहीं जानते कि शैतान नकारात्मक और गलत विचारों के द्वारा उनके मनों पर आक्रमण करता है। झूठ बोलना उसका स्वभाव है; वह हर एक को गुलाम बनाना चाहता है।

मैं यह समझने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहती हूँ कि अपने आत्मिक युद्ध में वे अकेले नहीं हैं-केवल उनके मन ही आक्रमण के अधीन नहीं है। शैतान हर एक के विरूद्ध आता है। उसका संपूर्ण लक्ष्य हत्या करना, चोरी करना और नाश करना है, किन्तु यीशु आया कि हम जीवन पाएँ और बहुतायत से उसका आनंद उठाएं; (यूहन्ना 10:10 देखें)। आत्मिक हथियारों के प्रति (जो प्रभु ने हमें उपलब्ध करायें है) अधिक जागरूक बनने से और उनका उपयोग करना सीखने से हम विजय पा सकते हैं। हमारे मनों में शैतान के बनाए मज़बूत किलों को हम ढा सकते हैं। बाइबल हमसे कहती है कि जब हम सत्य को जानेंगें तब सत्य हमें शैतान के दृढ़ गढ़ों से स्वतंत्र करेगा; (यूहन्ना 8:32 देखें)।

मैरी की कहानी में मैंने बताया था कि वर्षों तक शैतान ने उससे कहा था कि सभी पुरूष एक जैसे होते हैं और स्त्रियों को चोट पहुँचाना और उनका फायदा उठाना  चाहते हैं। जब मैरी ने बाइबल के वचनों को पढ़ा और अधिक प्रभावशाली रीति से प्रार्थना की तब वह समझ गई कि शैतान उसे घुमा रहा था। अब वह जानती है कि वह स्वतंत्र हो सकती है।

जैसे जैसे मैरी परमेश्वर के साथ अपने संबंध में प्रगति करती है, वैसे वह अपने मन के युद्ध को जीतने के लिए स्वयं को तैयार करती है। वह परमेश्वर के बारें में, और प्रभावशाली प्रार्थना करने के बारें में अधिक सीखना चाहती है।

‘‘यीशु मेरा मित्र बन गया है”, मैरी ने कहा। उसने उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में जाना था और परमेश्वर के रूप में उसकी आराधना की थी, परन्तु उसके लिए यह एक नया संबंध था। एक दिन उसने एक नये प्रकाश में इब्रानियों 2:18 पढ़ा। यह यीशु के बारे में कहती है, क्योंकि जब उसने; (अपने मानव शरीर में) परीक्षा की दशा में दुःख उठाया; (परखा और आजमाया गया) तो वह उनकी….. सहायता कर सकता है जिनकी परीक्षा होती है।

‘‘वह पद मैरी के लिए जीवंत हो उठा क्योंकि उसने यीशु को न केवल परमेश्वर बल्कि एक मित्र के रूप में देखा था-वह मित्र जो जानता है कि परीक्षा में पड़ना और दुःख उठाना क्या होता है। ‘‘मैं जानती हूँ कि वह क्रूस पर मरा, परन्तु मुझे उन सारे दुःखों का भान नहीं था जो उसने मेरे लिए सहे। यह समझना मेरे लिए एक नई बात थी कि वह मेरे दर्द और समस्याओं को जानता है।”

मैरी आगे कहती है कि जब उसके मन में नकारात्मक, नीच या गंदे विचार आते हैं तो वह उन्हे रोकना सीख रही है। ‘‘यीशु ने ऐसा नहीं कहा होता। यीशु आलोचना नहीं करता, इसलिए शैतान है जो मेरे मन पर क़ब्ज़े के लिए लड़ रहा है।”

मैरी ने सारी लड़ाइयाँ जीत नहीं ली है, परन्तु उसने उस बड़े धोखेबाज़ से लड़ना सीख लिया है। प्रत्येक बार जब वह एक लड़ाई जीत लेती है तब अगली लड़ाई उसके लिए आसान बन जाती है।

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सारी सामर्थ्य के प्रभु, शैतान के झूठ को पराजित करने के लिए मुझे हथियार देने के लिए धन्यवाद। उनका सदा अच्छा उपयोग करने के लिए मेरी सहायता करें। यीशु, मेरा मित्र बनने और मेरे कठिनाईयों और संघर्ष में मेरे साथ रहने के लिए धन्यवाद। आमीन।

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