हमारी आत्मिक मीरास

हमारी आत्मिक मीरास

क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है (जिनसे वह पहले से ही अवगत था और पहले ही प्रेम किया) उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों और भीतर से उसकी समानता को साझा किया ताकि वह बहुत भाईयों में पहिलौठा ठहरे। -रोमियों 8:29

यीशु पृथ्वी पर हमारे लिए सिद्ध, पापरहित बलिदान होने के लिए आया क्योंकि स्वाभाविक क्षेत्र में सिद्ध होने की योग्यता हमारे पास नहीं है। उसके बलिदान के कारण, हम हर दिन और ज्यादा यीशु के समान बन सकते है। और जब जैसा यीशु ने जीवन व्यतीत किया वैसा हम व्यतीत करते तो हम आत्मिक मीरास को प्राप्त करते है।

अब, यीशु के समान धर्मी जीवन व्यतीत करना एक ही रात में नहीं होता, और हम सब लड़खड़ाते है। कुछ भी हो, अगर हम सिद्ध होते, तो हमें एक उद्धारकर्ता की जरूरत ना होती! इस तरह, हमें हमारी आत्मिक मीरास का आनन्द लेने और पूर्ण करने की इच्छा हमारे हृदय में रखनी चाहिए। हमें यह जानते हुए कि वह हमें उसके अपने पुत्र, यीशु मसीह की समानता में विकसित करेगा, परमेश्वर पर भरोसा करना सीखना चाहिए।

इफिसियों 1:11-12 कहती है, उस में हम…पहले से ठहराए जाकर मीरास बनें…कि हम जिन्होंने पहले से मसीह पर आशा रखी थी जिन्होंने पहले ही अपना आत्मविश्वास उस में रखा वे नियुक्त और चुने हुए की, उसकी महिमा की स्तुति के कारण हो!

हमारे पास एक मीरास है, और परमेश्वर चाहता है कि आप उस शांति और सुरक्षा की एक समझ के साथ जीवन व्यतीत करें जो यह जानने से आती कि आप कौन है और आप किसके है।

क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करेंगे और आपको प्रतिदिन और ज्यादा अपने पुत्र के समान बनाने की उसे अनुमति देंगे?


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, यीशु में मेरी आत्मिक मीरास के लिए आपका धन्यवाद। मैं, यह जानते आप पर भरोसा करती हूँ कि आप प्रतिदिन आपके पुत्र के स्वरूप में मुझे ढाल सकते है।

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