
च्यूंटियों के पास जा…उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करने वाला, तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं। – नीतिवचन 6:6-8
परमेश्वर अपने बच्चों को जीवन में आगे बढ़ाने के लिए बड़े स्वप्न देता है। उन स्वप्ननों को पूरा होने के लिए, हमें व्यक्तिगत विकास की एक प्रक्रिया में परमेश्वर के साथ सहयोग में, प्रशिक्षण में समय खर्च करना जरूरी है। इस प्रक्रिया के लिए समय, दृढ़ निश्चय और परिश्रम की जरूरत होती है।
आज कल, हम सुविधा के बहुत आदी हो गए हैं। हम हमारे बर्तन धोने के लिए स्वचलित बर्तन धोने की और कपड़े धोने के लिए कपड़े धोने वाली मशीनों का इस्तेमाल करते है। हम केवल एक बटन दबाते और मशीन काम करना आरम्भ करती है। पर परमेश्वर के राज्य में कुछ भी स्वचलित नहीं है। आप आवश्यक कौशल को विकसित किए बिना उसकी योजनाएं और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकते हैं।
नीतिवचन में, हम चींटी के बारे में पढ़ते हैं। साधारण दृढ़ संकल्प के साथ अपने छोटे आकार से अधिक चींटियां कर पाती हैं, और हम उनसे एक बड़ा सबक सीख सकते हैं: हमें बस आत्म-प्रेरित और आत्म-अनुशासित होना चाहिए।
जब आप इस किस्म की आत्म-प्रेरणा और अनुशासन को विकसित करते है, तब आप वो सब बनेंगे जो होने के लिए परमेश्वर ने आपको उत्पन्न किया और इस प्रक्रिया में अन्यों की अगुवाई भी करेंगे। इसलिए दृढ़-निश्चय में बढ़ते, आगे बढ़ते रहे, और अपने स्वप्ननों को सत्य होता देखें!
आरंभक प्रार्थना
प्रभु, मैं वह सब होना चाहती जो आपने मुझे होने के लिए बनाया है और उन स्वप्ननों को पूरा करना चाहती हूँ जो आपने मेरे दिल में रखा है। आप पर केन्द्रित होने में और जो योजनाएं आपके पास मेरे लिए है उनको जीवन में व्यतीत करने और मसीह में बढ़ने के लिए जो समय, दृढ़ निश्चय और परिश्रम चाहिए वो करने में मेरी सहायता करें।