परमेश्वर के साथ संगति

और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। (1 यूहन्ना 1:3)

परमेश्वर हमारी संगति को चाहता है। आज की आयत में, यूहन्ना पिता और पुत्र के साथ संगति के बारे में लिखता है, और 2 कुरिन्थियों 13:14 में, पौलुस पवित्र आत्मा की संगति या सहभागिता के बारे में लिखता है। पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता अन्य विश्वासियों के साथ और स्वयं पवित्र आत्मा के साथ हमारा हवाला देती है। क्योंकि पवित्र आत्मा हमारे अन्दर रहता है, हमें उसके साथ संगति और सहभागिता के लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है।

संभावी तौर पर संगति का वर्णन करने के लिए एक अच्छा समानांतर दो लोगों का एक साथ रहना है, जैसा कि पति और पत्नी। मैं मेरे पति, डेव के साथ एक घर में रहती हूँ, और हम बहुत करीब है। हम एक साथ कार्य करते और अन्य बहुत सी बातें एकसाथ करते है। कई बार समय होते जब वह गोल्फ खेलने के लिए जाते है, पर हम फोन के साथ करीबी संपर्क में रहते है। वह टैलीविजन पर खेल को देखते है, और यद्यपि कि मैं विशेष तौर पर इस में रूचि नहीं रखती हूँ, मैं तब भी घर पर ही रहती हूँ। डेव और मैं एक साथ भोजन खाते, एक साथ सोते और सुबह को एक ही स्नानगृह का इस्तेमाल करते है जब हम अपने दिन के कार्य के लिए तैयार होते है। हम एक दूसरे की उपस्थिति में बहुत सा समय खर्च करते है। हम सदा बात नहीं करते, पर हम एक दूसरे के बारे में जागरूक रहते है। जबकि हमारे पास शांत पल होते है, हम बहुत सी बातचीत भी करते है। मैं डेव के साथ उन बातों के बारे में जो महत्वपूर्ण है और वह जो महत्वपूर्ण नहीं उन के बारे में बात करती हूँ। वह भी मेरे साथ वैसा ही करता है। जब हम में से एक बोलता है, तो दूसरा सुनता है।

साधारण किस्म में इसे देखते हुए, संगति एक साथ इकट्ठे होना, बात करना और सुनना है। पवित्र आत्मा हर समय हमारे साथ है। वह हमारे अन्दर रहता है और कभी भी हम से अलग नहीं होता। हम उससे बात कर सकते और वह सुनेगा। और वह हम से बात करेगा, इसलिए हमें सुनने की आवश्यकता है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर के साथ आरामदायक होना सीखें। अपने घर में उसके साथ एक आदरणीय मेहमान के जैसा बर्ताव करें।

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