
तुम्हारा श्रृंगार दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूँथना, और सोने के गहने, या भाँति भाँति के कपड़े पहिनना, वरन् तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मनकी दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है। -1 पतरस 3:3-4
क्या परमेश्वर इसकी परवाह करता है कि मैं कैसी दिखती हूँ? क्या मुझे दुबला होना है? एक व्यक्ति से अधिक लोगों ने कई बार विभिन्न रीति से इस प्रश्नों को अपने आप से किया है। उत्तर यह है कि परमेश्वर इस बात से हमारा न्याय नहीं करता है कि हम कैसा दिखते हैं धन्यवादपूर्वक वह हमारे हृदय को देखता है। परन्तु वह चाहता है कि हम उत्तम रीति से दिखें जैसा हम दिख सकते हैं उसकी महिमा के लिए और उसके आदर के लिए। हम उसका प्रतिनिधित्व करते हैं और हर एक क्षेत्र में श्रेष्ठता के साथ हमेशा रहना चाहिए। श्रेष्ठता का अर्थ केवल इतना है कि आपका जो है उसे लेना और जितना अच्छा आप उसके साथ कर सकते हैं उतना करना। आप भीतर में कैसा महसूस करते हैं परमेश्वर उसकी परवाह करता है और अन्ततः अपना श्रेष्ठत्तम दिखना एक स्वस्थ, प्रसन्न और आत्मिक आन्तरिक दशा का प्रतिबिंब है। मैं कॉस्मोपोलिटन पत्रिका की मुख पृष्ठ की माॅडल के विषय में बात नहीं कर रही हूँ; वे नकली परत और उनकी खूबसूरती आपको चकित कर देंगी। मैं सामान्य और स्पष्ट प्रकटीकरण के विषय में बात कर रही हूँ जो लोगों को आपके प्रति सकारात्मक रीति से प्रतिक्रिया देगा यदि ऐसा है और अपने विषय में श्रेष्ठत्तम महसूस करने में आपकी सहायता करता है।
पतरस का जो तात्पर्य है कि आप इस भ्रम में न पड़ें कि बाह्य सुन्दरता सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जबकि यह एक सत्य और शांतिपूर्ण आत्मा है।
परमेश्वर अत्यधिक परवाह करता है कि आप धार्मिकता के वस्त्र पहिने हुए आगे जाएँ परन्तु धार्मिकता के साथ एक अच्छा वस्त्र किसी को भी चोट नहीं पहुँचाता है। यदि लोग देखते हैं कि आप स्वयं का आदर करते हैं वे आपका भी आदर करेंगे। जीवन में बाकि हर चीज़ के समान या किसी भी अन्य चीज़ के समान यह एक संतुलन का सवाल है। बड़े चित्र को मन में रखें, स्वयं से पूछिए। “परमेश्वर ने इस पृथ्वी पर मेरे करने के लिए क्या कार्य रखा है?” तब निर्णय लें कि आप किस प्रकार दिखते हैं इस पर आपको कितना ध्यान देना है और अधिकतम ऊर्जा, स्वास्थ्य और चमक महसूस करने के लिए आपको यथा संभव सफलतापूर्वक वह कार्य करने की ज़रूरत है।