“अन्दर” पर “इस का” नहीं

“मैंने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है; और संसार ने उनसे बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” (यूहन्ना 17:14)

आज का वचन हमें सिखाता है कि विश्वासी होते हुए हम संसार में है पर संसार के नहीं है, जिसका अर्थ है कि हम बातों के एक संसारिक दृष्टिकोण को नहीं ले सकते है। हमारे ढंगों और व्यवहार में संसार के जैसा ना बनना निरंतर चौकसी की माँग करता है। मंनोरजन के रूप में बहुत ज्यादा सजीव हिंसा को देखना, जैसा कि संसार में होता है, हमारे जमीर को शुष्क या सख्त कर सकता और परमेश्वर की आवाज के लिए हमारी संवेदनशीलता को कम कर सकता है। आज संसार में बहुत से लोग उन कष्टों के लिए नियुक्त हो जाते जो वास्तव में लोग सहन करते क्योंकि अक्सर हम टैलीविजन पर त्रासदियों के चित्रण को देखते है।

समाचार मीडिया निरंतर नकारात्मक समाचारों सा त्रासदी की कहानियों को भावहीन, तथ्यों के ढंगों में प्रसारित करते है और हम अक्सर इन बातों को बिना भावनाओं के सुनते है। हम इतनी भयानक बातों को सुनते है कि हम तरस के उपयुक्त भावों या क्रोध जिसका हमें प्रदर्शन करना चाहिए के साथ बिल्कुल भी जवाब नहीं देते।

मैं विश्वास करती हूं कि यह बातें संसार के लिए शैतान की समस्त योजना का भाग है। वो चाहता है कि हम हमारे इर्द-गिर्द हो रही घटनाओं का जब हमें पता चलता तो हम दिल के कठोर और भावनाएं रहित बन जाएं। वो नहीं चाहता कि जो इन बातों के द्वारा प्रभावित है हम उनके बारे में कोई चिंता करें। पर मसीही होते हुए, हमें चिंता करनी चाहिए, हम संसार में हो रही बातों के बारे में सुनते है, हमें परमेश्वर को उसके दृष्टिकोण के लिए पूछना चाहिए और पता करना चाहिए कि वो कैसे चाहता है कि हम जवाब दें। फिर हमें उसे जवाब को सुनना चाहिए और उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए। यह एक ढंग है जिसके द्वारा हम संसार में हो सकते पर संसार के नहीं हो सकते है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः धर्मी मूल्यों के लिए खड़े हो और कभी भी समझौता ना करें।

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