प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है…भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। प्रभु यहोवा ने मेरा कान खोला है, और मैं ने विरोध न किया, न पीछे हटा। (यशायाह 50:4, 5)।
परमेश्वर से सुनने में पहला कदम यह विश्वास करना है कि हम उससे सुन सकते है। बहुत से लोग परमेश्वर से सुनना चाहते है, पर वो वास्तव में उससे सुनने की उम्मीद नहीं रखते है। वह कहते है, “मैं तो परमेश्वर से सुन नहीं सकता; वह कभी भी मुझ से बात नहीं करता है।”
इन लोगों के “रिसीवर” उसे साफ तरह से सुनने के लिए बहुत से आँकड़ों से भरे पड़े है। उनके कान अधर्मी स्रोतों से आते बहुत से संदेशों के साथ भरे हुए है। परिणामस्वरूप, उन्हें यह समझने में मुश्किल होती है कि परमेश्वर वास्तव में उन्हें क्या कह रहा है।
अगर हम जो परमेश्वर से सुन रहे है उस पर विश्वास नहीं करते तो हमारे साथ उसका बात करना हमारा कोई भला नहीं करता है। धोखेबाज शैतान नहीं चाहता कि हम सोचें कि हम परमेश्वर से सुन सकते है। वो नहीं चाहता कि हम विश्वास करें, इसलिए वो छोटी दुष्टआत्माओं को दिन रात हमारे पास खड़ा होने और हम से झूठ बोलने के लिए, कि हम परमेश्वर से सुन नहीं सकते, भेजता है। पर हम उत्तर दे सकते है, “ऐसा लिखा हुआ है, परमेश्वर ने मुझे सुनने और उसकी आज्ञा मानने की योग्यता दी है” (देखें भजन संहिता 40:6)। परमेश्वर का वचन घोषणा करता है कि सभी विश्वासियों के पास परमेश्वर से सुनने और आज्ञा पालन करने और पवित्र आत्मा के द्वारा अगुवाई किए जाने की योग्यता होती है।
यीशु ने हर समय पिता से साफ-साफ सुना था। बहुत से लोग जो यीशु के आस-पास खड़े थे जब परमेश्वर ने उससे बात की थी तो वो केवल गर्जन की आवाज को ही सुन पाए थे (देखें यूहन्ना 12:29)। अगर परमेश्वर से आपको सुनने में परेशानी है, तो मैं आपको हर दिन कुछ पल निकालने और उससे सुनने के आपके विश्वास का अंगीकार करने के लिए उत्साहित करती हूं। जब आप जो आपके दिल में विश्वास करते उसका अंगीकार करते है, तो आपका मन नया होगा और आप परमेश्वर से सुनने की उम्मीद करना आरम्भ कर देंगे।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर से सुनने का दबाव महसूस करने की बजाय, आप केवल आपसे बात करने के लिए उस पर भरोसा करें।