अपनी कैद में भी परमेश्वर की प्रशंसा करें

अपनी कैद में भी परमेश्वर की प्रशंसा करें

आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे, और बन्धुए उनकी सुन रहे थे। इतने में एकाएक बड़ा भुईडोल हुआ, यहां तक कि बन्दीगृह की नेव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्धन खुल पड़े। – प्रेरितों के काम 16:25-26

कभी-कभी हम स्वयं को इतनी भयानक गड़बड़ी में पाते है कि एक भी और सेकंड राहत या आजादी का इंतजार करना भी मुश्किल लगता है। पर हमें परमेश्वर का इंतजार करने और एक मीठे और साधारण विश्वास के साथ परमेश्वर पर भरोसा करने की आवश्यकता है। तब, एक ढंग

जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते – परमेश्वर उस में अचानक कार्य करता है।
पौलुस और सीलास इंतजार करने के बारे में जानते थे और उन्होंने अच्छी तरह से इंतजार किया। प्रेरितों के काम 16 हमें कहानी बताती है कि कैसे वह एक भीड़ के द्वारा हमला किए गए, मार खाए और जेल {बन्दीगृह} में डाल दिए गए थे। आयत 24 कहती है कि दोरेगे ने उन्हें कैद में डाल दिया और उनके पाँवों को काठ में ठोक दिया। ऐसा प्रतीत होता कि पौलुस और सीलास ने परवाह नहीं की – उन्होंने केवल गाना आरम्भ किया और प्रभु की आराधना करना आरम्भ कर दी। वह परमेश्वर का इंतजार करना आरम्भ हो गए।

अचानक, परमेश्वर ने एक भूचाल भेजा जिसने कैद के द्वार खोल दिए और उनके बँधन खोल दिए। उसने उन्हें आजाद कर दिया!

जब लोगों ने धैर्य और उम्मीद के साथ भयानक परिस्थितियों में परमेश्वर का इन्तजार किया, तो अचानक परमेश्वर ने कार्य किया है! इसलिए हिम्मत मत हारें! विश्वास करना बंद मत करें! विश्वास और उम्मीद के साथ भरे रहो। परमेश्वर की शक्ति असीमित है, और वह आपके लिए बेदारी को लाएगा।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, चाहे मेरे झंझट कितने भी बुरे क्यों ना हो जाए, मैं अपनी कैद में आपकी प्रशंसा करना चुनती हूँ। मैं जानती हूँ कि आप मेरे लिए आएंगे, और आप मुझे आजाद करने के लिए जब समय सही होगा तो “अचानक” कार्य करेंगे।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon