अपनी प्रार्थनाओं को साधारण बनाएं

अपनी प्रार्थनाओं को साधारण बनाएं

इसलिए तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। – याकूब 5:16

मैंने यह सीखा है कि साधारण, हृदय से महसूस की गई, विश्वास से भरी प्रार्थना सदा परमेश्वर के ध्यान को खींचती है। खेदजनक हम अक्सर इसे नजरअंदाज करते और हमारी प्रार्थनाओं का एक बड़ा दिखावा करते है जबकि असलियत में, प्रार्थना साधारण परमेश्वर के साथ संचार करना है।

जब हम प्रार्थना कर रहे होते तो हमें स्वयं को प्रमाणित करने की बातचीत के प्रति सावधान होना है। कई बार मैं सोचती हूँ कि हम महसूस करते कि हमें सुवत्ता होने की जरूरत है। हम परमेश्वर को हमारे वाक्यों के द्वारा प्रमाणित करना और पवित्र दिखाई देना चाहते है। पर परमेश्वर केवल हम से बातचीत करना चाहता है।

वह चाहता है कि हम उससे ऐसे बात करें जैसे हम किसी मित्र से करते है-नाकि एक भिन्न आवाज की धुन के साथ। अगर मैं दिन में एलिजाबेथन के साथ अग्रेजी में बात नहीं करती, तो जब हम प्रार्थना करते हमें तब इसका इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है।

हमें घण्टों तक प्रार्थना करने की भी जरूरत नहीं है। प्रार्थना का समय निधार्रित करना अच्छा है, पर हमें जब तक पूरा नहीं होता प्रार्थना करनी चाहिए और फिर हमें काम में लगना चाहिए तब तक जब कि हम कुछ और प्रार्थना की आवश्यक्ता को महसूस नहीं करते।

केवल एक ही ढंग जिसके द्वारा प्रार्थना संतोषजनक होगी वह यह है कि अगर आप इसे साधारण परमेश्वर की जो सब वह आपके लिए करता के लिए धन्यवाद और अराधना का एक अवसर करके इस्तेमाल करें, उसकी सहायता माँगे और सब जो आप करते में उसे शामिल करें। वह यहां पर आपसे प्रभावित होने के लिए नहीं है…वह यहां पर आपके साथ रहने के लिए है। प्रर्दशन मत करें। केवल उसे निमंत्रण दें।


आरंभक प्रार्थना

पवित्र आत्मा, मेरी प्रार्थना को मुझे एक प्रदर्शन में ना बदलने दें। मैं केवल आपको प्रभावित करने के लिए प्रार्थना को एक निश्चित ढंग या एक निश्चित समय की एक मात्रा के साथ प्रार्थना नहीं करना चाहती। मैं साधारण चाहती हूँ कि आप मेरे करीबी मित्र बनें और मेरे जीवन के प्रत्येक पहलू का भाग बनें।

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