अपने आप को विनम्र और उँचा उठाइए

अपने आप को विनम्र और उँचा उठाइए

इसलिए परमेश्वर के बलवंत हाथ के नीचे दीनता से रहो (स्वयं के विषय  अपने आंकलन में नीचे रहो) जिससे वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। -1 पतरस 5:6

प्रेरित पतरस एक ऐसे व्यक्ति का अच्छा उदाहरण है जिसे दीन होना था। मत्ती 26:31-35 में हम देखते हैं कि पतरस ने अपने विषय में जितना सोचना चाहिए था उससे अधिक सोचा। इस भाग में हम पढ़ते हैं कि क्रूसीकरण से पहले यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, कि वे सब ठोकर खाएँगे और उससे दूर भागेंगे। पद 33, में पतरस ने प्रभु से घोषणा की कि वह कभी भी ऐसा एक कार्य नहीं करेगा। प्रतिक्रिया के रूप में यीशु ने पतरस को चेतावनी दी कि रात्री समाप्त होने से पहले उसका भय उसे तीन बार यीशु का इंकार करने के लिए बाध्य करेगा। परन्तु पतरस कभी भी नहीं सोच पाया कि वह इतना कमज़ोर होगा।

पतरस सचमुच में स्वयं को नहीं जानता था और हम में से बहुत लोग इसी प्रकार के हैं। हम दूसरों को देखते और उनका न्याय करते हैं यह सोचकर कि मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा। तब जब हम अपने आपको एक ऐसे समान परिस्थिती में पाते हैं तो हम ऐसा ही कार्य करते हैं जिसके विषय में हमने कभी नहीं सोचा कि यह संभव होगा। पतरस को पराजय के अनुभव और उस मुसीबत के घड़ी में पतने से होकर गुज़रना ज़रूरी था। अपनी कमज़ोरियों को क्रूस पर लाने और परमेश्वर से सामर्थ्य पाने के पहले उसे अपनी कमज़ोरियों को देखना था। हाँ, पतरस पीड़ादायक रूप से पराजित हुआ। उसने तीन बार यीशु का इंकार किया। वह एक निर्णायक घड़ी में गिर गया परन्तु अन्तिम परिणाम अच्छा था। अनुभव ने उसे नम्र किया और एक ऐसे स्थान पर लाया जहाँ पर परमेश्वर उसे महान रूप से इस्तेमाल कर सके। परमेश्वर केवल दीन पुरूषों और स्त्रियों को इस्तेमाल कर सकता है। हमें स्वयं को अवश्य ही दीन करना है कि वह हमें ऊँचा उठाए। (1 पतरस 5:6 देखिए)

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon