आत्मा में चलना

आत्मा में चलना

पर मैं कहता हूँ, (आदतन) आत्मा के अनुसार (चलो तो तुम  शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। -गलतियों 5:16

जब परमेश्वर बात करता है तब वह हमारे प्राण के विचार को हमारी आत्मा की शक्ति से विभाजित करता है और हमारे जीवन में अपने उद्देश्य को लाता है। जब मैं वचन की एक छात्रा बनी मैं नहीं जानती थी कि कब मैं प्राण में होकर व्यवहार करती हूँ और कब आत्मा में होकर। मैं नहीं जानती थी कि कब मैं भावनात्मक रूप से व्यवहार कर रही हूँ, जब तक मैंने परमेश्वर के वचन का अध्ययन नहीं किया और उसकी प्रतिज्ञाओं में व्यवहार के द्वारा विश्वास करना नहीं सिखा।

जब मैं कुछ चाहती थी तो मैं उसके घटने का प्रयास करती थी। मैं हर गलत रास्तों का इस्तेमाल करने का प्रयास करती थी। यदि मैं राह नहीं पाती, तो मैं बहुत अधिक मचल जाती थी। कभी कभी मैं डेव से कई दिनों तक बात नहीं करती इस उम्मीद के साथ की वह हार मानेंगे और जो मुझे चाहिए वह देंगे। मुझे केवल इस बात की फिकर थी कि मुझे क्या चाहिए। मैं शारीरिक स्वार्थी, और आत्म केन्द्रित और अतिशय रूप से दोहराई थी, क्योंकि मैं स्वयं में लिपटी हुई थी।

बहुत से लोग परमेश्वर के साथ इस आशा के साथ एक संबंध में जुड़ते हैं कि वह उन्हें सब कुछ देगा जो वे चाहते हैं। उनके जीवन की प्रार्थना उन वस्तुओं की सूची है जो उन्हें चाहिए, परिणामस्वरूप जीवन भर वे बच्चा मसीही रहते हैं। जब वे मरते हैं वे स्वर्ग के द्वार के भीतर फिसल जाते हैं परन्तु वे कभी भी अपने जीवन में विजय का अनुभव नहीं करते हैं। उन्होंने कभी परमेश्वर की सुनना नहीं सीखा है, और नहीं सुनते हैं कि वह उनके लिए क्या चाहता है। हम शरीर में चलकर विजय नहीं पा सकते या सच में प्रसन्न नहीं रह सकते! हम अपनी ही इच्छाओं को संतुष्ट करते हुए जीकर किसी और के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किए बिना नहीं रह सकते। यदि हम पवित्र आत्मा के नेतृत्व का अनुसरण करते हैं तो हम अपने शरीर की वासनाओं को पूरा नहीं करेंगे।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon