फिर उसने अपने चेलों से कहा, इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, अपने प्राण की चिंता न करो कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे। क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है। -लूका 12:22-23
यदि आपका आत्मिक जीवन अच्छा है तो आप पहले से ही क्षण, दिन, और वर्ष से संतुष्ट होंगे। कई बार यह क्षण हम सबके पास आते हैं। गर्मी में जब आप अपने खेतों में घूमते हैं और अचानक आप उन सब की खूबसूरती से चकित हो जाते हैं। आप अपने पुत्र या पोते को अपनी गोद में रखते हैं और एक प्रेम बंधन अपने चेहरे पर महसूस करते हैं। आप इतवार की सुबह किसी जगह बैठे हुए हैं और खिड़कियों की काँच से छनकती हुई रोशनी आती है और आपके हृदय को आनंद से भर देती है। वह क्षण अपने आप में संपूर्ण है। आप नहीं सोचते कि मेरा हृदय आनंद से भरपूर है और बेटे क्या तुम चाहते हो कि मेरे हाथों में एक चॉकलेट कैक का टुकड़ा होता!
आप आत्मिक पोषण की संपूर्ण भरपूरी को जान सकते हैं और यह भी जान सकते हैं कि यदि आप इसका निरन्तर अनुभव कर सकते हैं कि अपनी ज़रूरतों के अनुसार उसे खाने पीने के द्वारा आपको कोई नुकसान नहीं होगा। वास्तव में जैसा हम अकसर करते हैं उससे अधिक हम सबको उन श्रेष्ठ क्षणों को महसूस करना चाहिए। मैं विश्वास करती हूँ कि वे भौतिक, भावनात्मक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। और मैं सोचती हूँ कि हम बहुत थोड़ा समय उन्हें प्राप्त करने में व्यतीत करते हैं और अपनी समस्याओं पर मनन करने में अधिक समय व्यतीत करते हैं। चाहे यह घर की चिकित्सा में हो या दोस्तों के साथ कॉफ़ी पीने में हो। यदि हम हर समय अपनी समस्याओं से चिपके रहेंगे तो वह उतनी ही और अधिक हमारे साथ रहेगी।
अपने मन से समस्याओं को निकाल लो और उस एक सच्चे परमेश्वर को प्रेम पर अधिक समय मनन करो। जीवन में हमारी समस्याएँ-और समस्याएँ होंगी-हमें परमेश्वर के पास ले जाना चाहिए न कि उससे दूर। योना एक दूरस्त मंजिल की ओर जाने के द्वारा प्रभु के प्रति अपने कत्र्तव्य़ से भागना चाहा और देखिए उसके साथ क्या हुआ! योना के मार्ग पर न चलें, परमेश्वर की ओर दौड़िए, वह न केवल आपकी आत्मिक भूख की समस्या को दूर करेगा पर वह समस्या का हल है!