आत्मिक भूख के लिए आत्मिक भोजन

आत्मिक भूख के लिए आत्मिक भोजन

शरीर (से संबंधित बातों) की अभिलाषाओं (वासनाओं) को पूरा करने का उपाय न करो। -रोमियों 13:14

भोजन का नशा आसान है क्योंकि भोजन सिगरेट या नशीली वस्तु के समान नहीं होता है। इन बातों के परे भोजन एक आवश्यक बल्कि स्वास्थ्य के लिए एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। केवल तब जब यह अत्यधिक इस्तेमाल में आता है यह समस्या बन जाती है। परन्तु उस स्थिति तक पहुँचना बहुत ही आसान है। भोजन भरोसेमन्द है। जीवन साथियों, मित्रों, या अच्छे मौसम के विपरीत – यह हमेशा उपस्थित है। परन्तु यही समस्या है। किसी भी समय जब हम आत्मिक रूप से खाली महसूस करते हैं चाहे उदासी, निराशा, या उबाऊपन के द्वारा यह आसान है कि उस खालीपन को भरने के लिए भोजन की ओर ताकें। जल्द ही हम आत्मिक भूख को शारीरिक भूख समझने की गलती करते हैं और भोजन आपकी भलाई के किसी भी काम के लिए भोजन तुरन्त उत्तर बन जाता है। आप जानते हैं कि ये कहाँ ले जाता है? जितना अधिक आप आत्मिक इच्छा को भोजन से पूरा करने का या अन्य अच्छी लगनी वाली वस्तु से प्रयास करते हैं उतना ही अधिक आपकी आत्मा की पुकार आत्मिक भोजन के लिए उच्च बन जाती है और उतनी ही बुरी आपकी बीमारी हो जाएगी।

सौभाग्य से सात्वना का एक और सुअवसर है जो आपकी ज़रूरत के समय हमेशा उपलब्ध है। खराब भोजन या नशीली वस्तु के समान यह आपको अत्यधिक वजनीय या बीमार या ऊर्जाविहिन नहीं करता है। यहाँ तक कि ये स्वतन्त्र है, यह कुछ परमेश्वर है। वह “दया का पिता, हर सात्वना का परमेश्वर कहलाता है जो हमें हर कठिनाई में सात्वना देता है” (2 कुरिन्थियों 1:3-4 देखिए)। जब मैं दुखी होती हूँ तो पहले मैंने परमेश्वर की ओर दौड़ना सीखा है, इसके बजाए कि किसी और व्यक्ति के तरफ़। मैं यह नहीं कह रही हूँ कि यह सुचालित है। मुझे इसे समझने में वर्षों लगे और मुझे अभी अपने आप को कभी कभी स्मरण दिलाना पड़ता है कि मैं जो चाहती हूँ वह आत्मिक पोषण है। परन्तु इस आदत को सीखना आपके मन और शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए अधिक करेगा और आपका जीवन किसी और बात से अधिक भला रहेगा जो मैं जानती हूँ। आपकी आत्मा को उसी प्रकार पोषण चाहिए जैसे शरीर को। पोषण देने के लिए तब तक इंतज़ार मत कीजिए जब तक आपके जीवन मे कोई विपत्ति न आ जाए।

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