अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता हैः तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। – यूहन्ना 14:17
यहां पर बाइबल में कुछ संदेश है जो हर बात पर लागू होते है – आत्म-संयम भी उनमें से एक है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे जीवनों में किस किस्म की समस्याएं है, आत्म-संयम प्रत्येक क्षेत्र में अपनी भूमिका रखता है। अगर हम स्वयं को अनुशासित नहीं करते, तो हमारी भावनाएं हम पर नियंत्रण करेगी और हमारे जीवन लाचार होंगे।
आत्म-संयम का अभ्यास करने का अर्थ संतुलन में रहना है। जीवन में सब कुछ योग्य निर्णयों को और इन्हें होने वाला बनाने के लिए अनुशासन की माँग करता है। इसलिए हमारी बहुत सी समस्याएं सीधा अनुशासन की एक कमी का प्रमाण होती है। आर्थिक कर्ज तब आते जब हम हमारी खर्च की आदतों पर नियंत्रण नहीं कर पाते है, बुरी सेहत तब आती जब हम हमारी खाने की आदतों आदि पर नियंत्रण नहीं कर पाते है।
अगर आप एक ऐसी स्थिति में जिससे बाहर आना बहुत प्रबल महसूस होता है, तो बहुत से अनुशासन और आत्म-संयम की जरूरत हो सकती है। धन्यवाद के साथ, परमेश्वर ने हमें इस में रहने और हमारी सहायता करने के लिए हमें पवित्र आत्मा दिया है।
अगर आपने नया जन्म पाया है, तो मसीह का आत्मा आपके अन्दर रहता है – आत्म-संयम के फल के साथ सम्पूर्ण। आपने इसे विकसित नहीं किया हो सकता है, पर आप जानते कि यह यहां पर है। आपके पास जो इसके लिए चाहिए वो है। पवित्र आत्मा के साथ आपके संबंध के द्वारा आत्म-नियंत्रण को विकसित करने का एक निर्णय करें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मुझे अनुशासन और आत्म-संयम का फल देने के लिए आपका धन्यवाद। मेरे अन्दर आपके आत्मा की शक्ति के द्वारा, मैं जो आप मुझे करने के लिए कहेंगे वो करूँगी और मेरी भावनाओं द्वारा नियंत्रित नहीं की जाऊँगी।