
क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। – रोमियों 8:5
विश्वासी होते हुए सही सोच इतनी महत्वपूर्ण है कि हम इसके बिना रह ही नहीं सकते। हमारे दिल की धड़कन के समान ही, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत सी समस्याएं जिनके साथ हम हमारे जीवनों में हल करते वह गलत सोचने के नमूनों में जड़ पकड़े होती है, जो कि सत्य पर आधारित नहीं।
सही सोच प्रार्थना और वचन के द्वारा परमेश्वर के साथ नियमित, व्यक्तिगत संगति का परिणाम है। इस सत्य को समझना हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हमारे जीवन तब तक सही नहीं होंगे जब तब हमारी सोच सही नहीं होती क्योंकि हमारे विचार फल उत्पन्न करते है। जब आप और मैं अच्छे विचारों को सोचते है, तब हमारे जीवन अच्छे फल को उत्पन्न करते है। जब आप और मैं बुरे विचारों को सोचते है, तब हमारे जीवन बुरे फल को उत्पन्न करते है।
जितना ज्यादा देर मैं परमेश्वर की सेवा करती और उसके वचन का अध्ययन करती, उतना ज्यादा मैं पहचानती कि मेरे मन में क्या चल रहा है। जहां मन जाता वही मनुष्य भी पीछे जाता है। हमारे विचारों की निंरतर निगरानी करते रहना ही वो एकलौता ढंग है जिसके द्वारा हम उन्हें परमेश्वर के वचन के साथ मेल में रखने और दुश्मन के विरूद्ध हमारी लड़ाई को जीतने के योग्य होंगे।
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, आपने मुझे दिखाया है कि सही सोच पूरी तरह अनिवार्य है। मैं नियमित आपको खोजूँगी और आपके वचन का अध्ययन करूँगी ताकि मैं सही विचारों को सोच सकूँ।