इसे करिए

इसे करिए

इसलिए कि जितने लोग परमेश्वर की आत्मा के चलाए  चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं। -रोमियों 8:14

मैंने पाया है कि यदि मैं प्रसन्न होना चाहती हूँ और यदि मैं अपने जीवन में अभिषेक चाहती हूँ तो मुझे अवश्य ही परमेश्वर की आवाज़ के प्रति आज्ञाकारी होना चाहिए। मुझे हमेशा यह जानने की आवश्यकता नहीं है कि क्यों परमेश्वर चाहता है कि मैं यह करूँ। मुझे केवल यह जानने की ज़रूरत है कि वह मुझ से क्या करने के लिए कहता है और उसे करना है!

तो हमारी भावनाएँ बह निकलती हैं तो हमें उसे अपने जीवन को बहा देने से रोकने की ज़रूरत है। हमें अपनी इच्छाओं को उन बातों को अधिन करना है जो परमेश्वर हमें करने के लिए अपने वचन के द्वारा हमसे कहता है। यदि हम कलीसिया जाना महसूस नहीं करते हैं, फिर भी हम जाते हैं। यदि हम उस सौ रूपये की भेंट देना महसूस नहीं करते हैं जो परमेश्वर ने हमसे देने के लिए कहा है, फिर भी हम करते हैं। यदि परमेश्वर हम से कुछ देने के लिए कहता है तो हम उसे रखना महसूस करते हैं; परन्तु हम उसे आनंद के साथ उसे देते हैं।

‘‘आत्मा में चलना” एक ऐसा वाक्य है जिसे चमत्कार में विश्वास करने वाले मसीही पीछले कुछ दशकों में लापरवाही पूर्वक इस्तेमाल किए हैं। मेरे लिए इसका तात्पर्य परमेश्वर को बोलते हुए सुनना है और वह सब करना है जो परमेश्वर ने मुझ से करने के लिए कहता है। हम अपनी उंगली को किसी की तरफ़ उठा सकते हैं जब हम अन्य लोगों को परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते हुए देखते हैं। परन्तु वह हमसे केवल हमारी अपनी आज्ञाकारिता चाहता है।

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