ईमानदारी सिद्धता पर भारी पड़ती है

ईमानदारी सिद्धता पर भारी पड़ती है

परन्तु हम ने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के सामने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं। – 2 कुरिन्थियों 4:2

लोग हमारे बारे में क्या सोचते है इसकी इस हद तक हम चिंता करते है कि यह हमें पूरी तरह अस्थिर कर देता और हम गलत दिखने के बारे में डरते रहते है। पर क्या आपको पता है? मैं सोचती हूँ कि अगर हम ज्यादा सच्चे है, तो हम सिद्ध होने का दिखावा करते, सब जो छिपाने का प्रयास करते उस से ज्यादा आदर को प्राप्त करेंगे।

मैं विश्वास करती हूँ कि लोगों का मेरी सुनने के मुख्य कारणों में से एक यह है कि मैं उन्हें वो बताती हूँ जो मैंने मेरी अपनी समस्याओं, कमजोरियों और गलतियों के द्वारा सीखा है। यह उन्हें आराम पाने, मुझ से संबंधित होने में सहायता करता, और उन्हें आशा की पेशकश करता है कि अगर मैं वो बाते कर सकी जो मैंने की और इसे पूरा किया, तो वह भी कर सकते है।
हमें गलतियां करने के भय में जीवन व्यतीत करना बंद करना है, क्योंकि हम गलतियां करेंगे – विराम चिन्ह। परमेश्वर हमें कोई भी गलती ना करने के लिए नहीं कह रहा है। वह हमें ईमानदार होने और हमारी त्रुटियों के बारे में स्पष्ट होने के लिए कह रहा है। जब हम उन्हें बाहर स्पष्ट लेकर आते है, वह हमें उनसे छुटकारा पाने और हमें बड़ी और उत्तम बातों में आगे बढ़ने में सहायता कर सकता है।

अपनी गलतियों को मत छिपाएं। उन्हें बाहर खुलें में लाएं ताकि आप उनसे सीख सकें। जब आप खुलेपन और ईमानदारी के साथ परमेश्वर पर भरोसा करते है, वह आपको किसी भी बात पर जय पाने में सहायता कर सकता है।


आरंभक प्रार्थना

प्रभु, मेरे पास कमजोरियां है जिनके लिए मैं शर्मिन्दा हूँ, पर उन्हें पकड़े रखना मेरा कोई भी भला नहीं करेगा। मैं अपनी त्रुटियों के बारे में खुले रहना चुनती हूँ ताकि आप उन पर जय पाने में मेरी सहायता कर सकें।

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