जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए और हमें उसका विश्वास है। परमेश्वर प्रेम है, और जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्वर में बना रहता है। – 1 यूहन्ना 4:16
पहला यूहन्ना 4:16 बल देती है कि हमें हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम के बारे सचेत होने की आवश्यक्ता है। हमारे लिए यह कहना आसान है, “परमेश्वर मुझे प्रेम करता है” यह सचमुच समझे बिना कि हम क्या कह रहे है। उसके प्रेम का ज्ञान केवल कुछ बाइबल की सच्चाई नहीं जो केवल मन में हम समझते पर हमारे जीवनों में एक असलियत होना चाहिए।
यह आयत कहती है, परमेश्वर प्रेम है, और वह जो निरंतर प्रेम में बना रहता परमेश्वर में बना रहता है, और परमेश्वर उस में निंरतर बना रहता है।
शब्द बना इस आयत में “इस में जीवन व्यतीत करना, बसना है।” यह मुलाकात का हवाला नहीं देता है; यह बने रहने या इसमें बसने का हवाला देता है।
परमेश्वर का प्रेम केवल एक याद करने की सच्चाई या क्षणिक भावना नहीं है। उसका प्रेम यहां पर बने रहने के लिए है। यह केवल अच्छे समयों में साथ रहता और बुरे समयों में चला नहीं जाता है; परमेश्वर का प्रेम सदा बना रहता है; इसलिए हमें उसके प्रेम में बने रहना चाहिए।
हम में से प्रत्येक मसीही जब हम परमेश्वर के प्रेम में बने रहते है सिद्धता की एक बड़ी फसल को काट सकते है। आप मुश्किल के समयों में बढ़ेंगे जब आप आपके लिए परमेश्वर के अद्भुत प्रेम में बने रहते है।
आरंभक प्रार्थना
प्रभु, मैं आज उस प्रेम में बने रहना ठानती हूँ जो आपके पास मेरे लिए है। बहुत सी बातें बदलती है, पर आपका प्रेम कभी नहीं बदलता, इसलिए मैं आपके अद्भुत प्रेम में बने रहना चुनती हूँ।