
परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश (उज्जवल और स्पष्ट) दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है [यह अपनी पूरी शक्ति और महिमा में पहुँचता है]। (नीतिवचन 4:18)
परमेश्वर की आवाज सुनना सीखने के बारे में सबसे अच्छी चीजों में से एक यह है कि यह प्रगतिशील है। यह ऐसा कौशल नहीं है, जिसके हम उस्ताद बन सकते हैं; यह एक खुलते रहनेवाला रिश्ता है जिसका हम आनंद लेते हैं। जैसे ही रिश्ता और अधिक खुलता है, हम उसके साथ अधिक बार और अधिक गहराई से और अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करना सीखते हैं; हम पवित्र आत्मा का और अधिक बारीकी से पालन करना सीखते हैं; हम और अधिक विश्वास के साथ प्रार्थना करना सीखते हैं; और हम उसकी आवाज को और अधिक स्पष्ट रूप से सुनना सीखते हैं।
क्या आपने कभी परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते में खुशी महसूस की है, यह जानते हुए कि यह कुछ समय के लिए अच्छा चल रहा था, और फिर बिना किसी स्पष्ट कारण के, आप बेचैन होने लगे, ऊब गए, विचलित हो गए, या असंतुष्ट हो गए? क्या आपने कभी महसूस किया है कि परमेश्वर के साथ आपकी संगति में कुछ सही नहीं था, या कुछ अलग करने के लिए हलचल हुई हो? अधिकांश समय, जब आपके पास ऐसी धारणा होती है, पवित्र आत्मा आपको कुछ बताने की कोशिश कर रहा होता है।
आपके अंदर का व्यक्ति (आपकी आत्मा, आपका वह भाग जो परमेश्वर के साथ संगती करता है) जानता है कि आपके प्रार्थना जीवन में कुछ सही नहीं है, क्योंकि पवित्र आत्मा आपकी आत्मा में रहता है, और वह आपको बताएगा कि कब परमेश्वर के साथ आपके संबंध में कुछ बदलने की आवश्यकता है। बस आपको आत्मा का अनुसरण करने के लिए पर्याप्त साहसी होने की आवश्यकता है। परमेश्वर जानते हैं कि हम और अधिक के लिए तैयार हैं, और वह हमें अपने साथ संगती के लिए एक गहरे स्थान पर जाने और उसकी आवाज सुनने का आग्रह कर रहा है। परमेश्वर हमेशा आगे बढ़ रहे हैं और वह चाहते हैं कि हम उनके साथ आगे बढ़ें। कुछ नया करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कुछ करने के तरीके को छोड़ने से ना डरें।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः
याद रखें, परमेश्वर की आवाज सुनना एक कौशल नहीं है; यह एक रिश्ता है।