
यीशु ने उसको उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच सच कहता हूँ, यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।” – यूहन्ना 3:3
बाइबल कहती है कि हमें अवश्य ही नया जन्म प्राप्त करना है, यह ऐसा नहीं कहती कि हमें अवश्य ही धार्मिक होना है। हमें अवश्य ही अपने जीवन में यीशु को आने देना है और प्रत्येक क़दम जो हम उठाते हैं उस पर शासन करने के लिए हमारे हृदय के सिंहासन पर बैठने देने की ज़रूरत है। जब वह हम से एक निश्चित दिशा में जाने के लिए कहता है तो वह हमें वह करने के लिए सामथ्र्य भी देता है जो वह करने के लिए कहता है। यीशु कभी नहीं कहेगा, इसे करो, “केवल इसे करो”! वह हमें हमेशा वह करने की सामर्थ्य देता है जो वह करने के लिए कहता है।
परमेश्वर से सुनने में सब से बड़ी बाधा नया जन्म पाने और उसके साथ लगातार संगति के द्वारा उसके साथ व्यक्तिगत संबंध रखने के बजाए कर्मों के द्वारा उसके पास जाने का प्रयास करना है। लोग वर्षों तक कलीसिया जा सकते हैं और अपने जीवन भर बिना यीशु को अपने जीवन में प्रभु के रूप में जाने धार्मिक कार्य कर सकते हैं।
यह समझना डरानेवाली बात है कि हज़ारों लोग शायद प्रति सप्ताह कलीसिया में ऐसे बैठे है जो स्वर्ग नहीं जाएँगे। जैसा कि मैं अक्सर कहती हूँ, कि किसी “कलीसिया में बैठना किसी व्यक्ति को मसीही नहीं बनाता है, ठीक वैसा जैसा कि किसी व्यक्ति के कारखाना में बैठने से वह वाहन नहीं बन जाता है।” मत्ती 7:20-23 में बाइबल कहती है कि ऐसे लोग हैं जो न्याय के दिन कहेंगे। जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु, कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीयी पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, “हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए…?” तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।” शायद लोग अच्छे काम करते रहे हों और फिर भी परमेश्वर की आज्ञाओं का अनादर करते रहे हों यदि वे परमेश्वर के साथ होने को समय नहीं निकाल पाते हों और उसके निर्देशों को नहीं सुन पाते हों।