पर अशुद्ध और बकवाद (व्यर्थ, अनुपयोगी और बेंकार) से बचा रह क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएँगे। – 2 तीमुथियुस 2:16
सभी खाली, निष्क्रिय और व्यर्थ अनुपयोगी बातचीत का त्याग करें। बदले में जैसे परमेश्वर बात करता है वैसा बात करना सीखें। यह परमेश्वर का वचन है जो आपके होठों से प्रेम और सच्चाई में बोला गया है, जो उसकी इच्छा और उद्देश्य को पूरा करने के बाद उसके पास जाएगा। परन्तु उस वचन को सत्य और प्रेम में बोलने के लिए आपके हृदय को प्रभु के सम्मुख सही होना है। क्योंकि हृदय की बहुतायत से मुँह बोलता है-भलाई या बुराई के लिए। आप अपने शब्दों से, घोषणाओं से बँधे हुए हैं।
आप इनके द्वारा परखे भी जाते हैं। वाचमैन नी ने एक बार कहा, ‘‘यदि आप किसी व्यक्ति की सुनते हैं तो आप उस आत्मा को जान सकते हैं जो उनके शब्दों के द्वारा उनमें से बाहर आता है।” इसीलिए अपने होठों पर एक रखवाला नियुक्त करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उनमें से जो बाहर आता है न केवल सच होता है परन्तु दयालु और सकारात्मक और उन्नति देनेवाला और परमेश्वर की इच्छा के अनुकूल होता है।
आप अपने कार्यों और व्यवहार को बदल सकते हैं। परन्तु ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको अपने विचारों को और शब्दों को बदलना होता है। और यह करने के लिए आपको भीतर रहनेवाले परमेश्वर की आत्मा की सहायता की ज़रूरत है। यदि आप सच में चाहते हैं कि आपका जीवन पूर्ण रीति से भिन्न हो तब अपने आपको प्रभु को सौंप दें और दीनता में उससे माँगे कि वह अपने पुत्र यीशु मसीह के स्वरूप और स्वभाव में आपको बदल दे। वह यह मेरे लिए कर रहा है और यदि वह मेरे लिए कर सकता है तो वह आपके लिए भी कर सकता है और करेगा।