कभी न बदलने वाले परमेश्वर का प्रेम

कभी न बदलने वाले परमेश्वर का प्रेम

क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं; इसी कारण, हे याकूब की संतान तुम नष्ट नहीं हुए। -मलाकी 3:6

वास्तविक प्रेम, परमेश्वर का प्रेम हर समय एक समान होता है; यह कभी भी नहीं बदलता है, यह ऐसा ही है! इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि मूसा ने जब परमेश्वर से पूछा कि इस्राएलियों से वह क्या कहे जब वे उससे पूछें कि उनकी ओर से उसे फिरौन के पास किसने भेजा। परमेश्वर ने उत्तर दिया, “मैं जो हूँ…।” (निर्गमन 3:13-14) मैं यह स्वीकार करने की अधिक इच्छुक हूँ कि मैं अब तक इस निःस्वार्थ प्रेम के क्षेत्र में नहीं पहुँची हूँ। परन्तु निश्चित ही मैं इसे सीखना चाहती हूँ और मैं विश्वास करती हूँ कि आप भी ऐसा करना चाहते हैं। मनुष्य के रूप में ऐसा दिखता है कि हम बदलने वाले हैं और हमें अधिक स्थायी होना सीखना चाहिए।

स्थिरता एक ऐसी बात है जो मैंने विवाह के पश्चात् डेव में ध्यान देना शुरू किया। मैं कभी भी स्थिर लोगों की उपस्थिती में नहीं रही। डेव हर जगह हर समय एक समान रहते थे। वे सीधे काम पर जाते और उसी रिति से शाम को वापस घर लौट आते थे परन्तु कभी भी वे अलग रिति से व्यवहार नहीं करते थे। उनकी परिस्थितियाँ उनके व्यवहार को नहीं बदलती थी। हमारे विवाह के पहले परमेश्वर ने डेव के साथ वर्षों तक कार्य किया था और उनके चरित्र में स्थिरता को बढ़ाता।

स्थिरता का कार्य हमारे भीतर अवश्य होना चाहिए। जब हम चारों तरफ़ जीवन में एक समान पहाड़ लेकर चलते हैं तो अन्ततः हम सीखते हैं कि वे हमें निराश न करें। तब और केवल तब ही हम एक ऐसे उम्मीदवार बन सकते है जो इस संसार में परमेश्वर के प्रेम को दिखा सकते है।

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