मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; उसकी स्तुति निरंतर मेरे मुख से होती रहेगी। -भजनसंहिता 34:1
हम सब जानते है कि हमें हमारी बहुत सी आशीषों के लिए कृतज्ञ होना चाहिए। परमेश्वर अपने वचन में हमें कृतज्ञ होने के लिए बताता है, और हम अपने अनुभव से जानते है कि एक बार जब हम गंभीरता से परमेश्वर की स्तुति करने लगते है, हमारे बोझ और परेशानियों का भार हमारे कँधो पर हल्का होने लगता है।
दाऊद ने कहा, मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; उसकी स्तुति निरंतर मेरे मुख से होती रहेगी…धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो है परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है (भजनसंहिता 34:1,19)।
यही कृतज्ञता की शक्ति है, केवल यह हमें आजाद होने में ही हमारी सहायता नहीं करती, पर जब हम हमारे जीवनों में परमेश्वर की आशीषों के आनन्द के लिए धन्यवाद देने को रूकते है, हम असल में और आशीषों को खोजना आरम्भ होते है-यहां तक कि और ज्यादा धन्यवादी होते है।
मैं आपको कृतज्ञ होने के अभ्यास के लिए समय निकालने को उत्साहित करती हूँ। यहां पर हमारे कृतज्ञ होने के लिए बहुत है, और हमें इस पर केन्द्रित होने की आवश्यकता है-हर दिन भजनकार की चेतावनी मन में रखें…कृतज्ञ बनें और उससे कहें, आपका धन्यवाद और आपके नाम की स्तुति हो! (भजनसंहिता 100:4)।
आरंभक प्रार्थना
प्रिय परमेश्वर, कृतज्ञता की शक्ति सचमुच अविश्वसनीय है। मुझे प्रतिदिन आशीष देने और मेरे जीवन में कार्य करने के लिए आपका धन्यवाद, मैं जानती हूँ कि आपके बिना, मेरे पास कुछ नहीं है, इसलिए उस भलाई के लिए मैं आपका धन्यवाद करती हूँ जो आपने मुझे दिखाई है।