केवल उसी पर निर्भर रहना

केवल उसी पर निर्भर रहना

तब गिदोन जो यरूब्बाल भी कहलाता है और सब लोग जो उसके संग थे सवेरे उठे  और हेरोद नामक सोते के पास अपने डेरे खड़े किए और मिद्यानियों की छावनी  उनके उत्तरी ओर मोरे नामक पहाड़ी के पास तराई में पड़ी थी। तब यहोवा ने  गिदोन से कहा, जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को इनके  हाथ नहीं कर सकता नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरूद्ध अपनी बड़ाई  मारने लगेंगे कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं। इसलिए तु जाकर  लोगों में यह प्रचार करके सुना दे, जो कोई डर के मारे थरथराता हो  वह गिलाद पहाड़ से लौट कर चला जाए। तब बाइस हजार लोग  लौट गए और केवल दस हजार रह गए।  -न्यायियों 7:1-3

गिदोन से कहने के बदले में जो एक बड़े युद्ध का सामना कर रहा था कि वह उसे और अधिक लोगों को देगा, परमेश्वर ने उससे कहा कि उसके पास परमेश्वर के लिए बहुत है उसे विजय देने के लिए। रोचक बात यह है कि कभी परमेश्वर हमारी ताकत की तुलना में कमज़ोरियों के द्वारा ज़्यादा काम करता है। ऐसे समय आते हैं जब हम स्वभाविक रूप से परमेश्वर के लिए बहुत कुछ करते हैं कि विजय दे। हमें एक आश्चर्यकर्म के लिए कतार में नहीं खड़े हैं कि यदि कोई नहीं तो परमेश्वर हमारी सहायता कर सकता है। परमेश्वर गिदोन से कह रहा था कि वे अपने आप में बहुत सामर्थी हैं कि वह चाहता है कि वे ऐसी स्थिति में हो जहाँ पर उन्हें पूरी रीति से उस पर आश्रित होना पड़े। घमण्ड और गर्व मनुष्य की श्रेष्ठता को नाश कर देती है इसलिए परमेश्वर को हमारी सहायता करनी है कि हम नम्र रहें और उसके सामर्थी हाथों के नीचे रहें और संपूर्ण रूप से उस पर आश्रित रहे।

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