क्या हम परमेश्वर की उपस्थिती की खोज कर रहे हैं या उसके उपहारों की?

क्या हम परमेश्वर की उपस्थिती की खोज कर रहे हैं या उसके उपहारों की?

तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनंद की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। -भजन संहिता 16:11

इसलिए परमेश्वर को खोजना कि वह कौन है केवल इसलिए नहीं कि वह हमारे लिए क्या कर सकता है, यह विश्वासयोग्य रूप में हमारे लिए आवश्यक है। यह मेरे लिए एक बड़ा सबक था, मुझे परमेश्वर में आनन्दित होना सीखना था, उसमें नहीं कि वह मेरे लिए क्या कर रहा था या मेरे लिए क्या नहीं कर रहा था। प्रभु का आनंद मेरी ताकत है (नहेम्याह 8:10 देखिए) परिस्थितियों का आनंद नहीं। हमारे पास शैतान के विरोध में थोड़ी सी ताकत होगी या कोई ताकत नहीं होगी। यदि हम अस्थिर होंगे और अपनी परिस्थितियों को अपने आनंद करने देंगे, उसमें मेरे लिए कुछ क्षण लगे कि मैं इस बात को समझूँ। परन्तु मेरे आत्मिक जीवन में कितना अद्भुत अंतर यह लाया। पूर्व में मैंने हमेशा महसूस किया था कि मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत थी और प्रभु के साथ मेरे चाल में कहीं मैं चुक गई थी। मैंने वह सब उसकी उपस्थिती में पाया उसके उपहारों में नहीं। जो चीज़ हम खोज रहे हैं वह परमेश्वर का उपहार नहीं परन्तु परमेश्वर स्वयं है। उसकी उपस्थिती ही हमें बनाए रखती है और हमें जीवन देती है-बहुतायत का और अनन्त जीवन। हमें अवश्य निर्णय लेना चाहिए कि चाहे कभी हम वह न पाए जो चाहिए। अय्यूब के समान हमें अवश्य कहना चाहिए, “वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहीं; तौभी मैं अपनी चाल चलन का पक्ष लूँगा।” (अय्यूब 13:15)

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