…जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी के प्रति कुछ विरोध, हो तो क्षमा करोः इसलिए कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे। -मरकुस 11:25
जब कोई हमें दुख पहुँचाता है, तो हम इस तरह से प्रतिक्रिया देते जैसा कि उस व्यक्ति ने हम से चोरी की है। हम महसूस करते कि वह हमारे कर्जदार है, फिर भी परमेश्वर चाहता है कि हम इसे जानें दें।
अगर हम क्षमा करने से इन्कार करते, तो जो हमें चाहिए उसे प्राप्त करने की हमारे पास क्या आशा है? परमेश्वर से जो उसने अपने वचन में वायदा किया को प्राप्त करने के लिए, हमें परमेश्वर का आज्ञा पालन करना चाहिए, चाहे कि यह कितना भी मुश्किल क्यों ना हो। हमें क्षमा करनी चाहिए।
सबसे बड़ा छल जो शैतान ने क्षमा के क्षेत्र में स्थिर किया यह है कि अगर हमारी भावनाएं बदली नहीं है, तो हम सचमुच बदले नहीं है। जब आप किसी को क्षमा करने का निर्णय करते है, तो शैतान आपको यह कायल ना करें कि क्योंकि आपके पास अभी भी वही भावनाएं है, तो आपने सचमुच व्यक्ति को क्षमा नहीं किया है।
आप क्षमा करने का सही फैसला कर सकते और हो सकता कोई “भिन्न” महसूस ना करें। वहीं पर विश्वास कदम बढ़ाता है। आपने अपना भाग कर दिया है-अब परमेश्वर का इंतजार करें। वह अपना भाग करेगा और आपकी भावनाओं को चंगा करेगा, आपको सम्पूर्ण बनाएगा, और जिस व्यक्ति ने आपको ठेस पहुँचाई उसके प्रति आपकी भावनाओं को बदलेगा।
आरंभक प्रार्थना
प्रभु, मैं उन्हें क्षमा करना चुनती हूँ जिन्होंने मुझे दुख पहुँचाया है। मैं, यीशु के नाम में, उन्हें उनके कर्ज से आजाद करती हूँ। मेरे दिल को चंगा करें और मुझे संपूर्ण बनाए।