
जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की (उसके कार्य) छाया में (परिणामस्वरूप) ठिकाना पाएगा (अनंत रूप से हमारी उच्च प्रार्थनाओं, अभिलाषाओें, विचारों, आशाओं और स्वप्नों के परे)। -भजन संहिता 91:1
परमेश्वर के पास एक गुप्त स्थान है जहाँ पर हम शांति और सुरक्षित रह सकते हैं। गुप्त स्थान परमेश्वर में विश्राम का स्थान है। उसमें शांति और आराम का स्थान है। यह गुप्त स्थान एक “आत्मिक स्थान है” जहाँ पर चिंता गायब हो जाती है और शांति शासन करती है। यह परमेश्वर की उपस्थिती का स्थान है। जब हम प्रार्थना करते हऐ परमेश्वर को खोजते हुए और उसकी उपस्थिती में रहते हुए समय व्यतीत करते हैं तब हम गुप्त स्थान में होते हैं।
निवास करना शब्द का अर्थ “किसी के घर को बनाना है; रहना, जीना।” जब मैं और आप मसीह में गुप्त विश्राम करते हैं-तो हम वहाँ पर कभी कभी नहीं जाते हैं। हम वहाँ पर स्थायी निवास बनाते हैं।
नए नियम में एक युनानी शब्द जिसका अनुवाद निवास करना किया गया है उसी शब्द का अनुवाद यूहन्ना 15:7 में जहाँ पर यीशु कहता है “यदि तुम मुझ में बने रहो और मेरा वचन तुम में बना रहे तो तुम जो कुछ इच्छा करते हो माँगोगे और यह तुम्हारे लिए हो जाएगा।”
यदि मैं और आप परमेश्वर में बने रहते हैं तो यह परमेश्वर में निवास करने के समान है। यह तथ्य के रूप में एम्लीफायड़ बाइबल यूहन्ना 15:7 को इस प्रकार से अनुवाद करता है। “यदि तुम मुझ में निवास करो और मेरे वचन में तुम में रहें और तुम्हारे हृदय में लगातार जीए जो कुछ तुम चाहो वह माँगोगे और यह तुम्हारे लिए किया जाएगा।”
दूसरे शब्दों में हमें स्थिरता के साथ परमेश्वर में रोपित होने की ज़रूरत है। हमें प्रत्येक स्थिति और प्रत्येक परिस्थिती में अपनी सहायता के श्रोत को जानने की ज़रूरत है। हमें अपनी स्वयं की शांति और सुरक्षा के गुप्त स्थान होने की ज़रूरत है। हमें परमेश्वर पर भरोसा रखने और पूर्ण रीति से उस पर आसरा रखने की ज़रूरत है।