हे दोष लगाने वाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है। – रोमियों 2:1
जब कभी भी हम हर एक के साथ क्या ग़लत है के बारे में बात करते और सोचते हैं, हम आमतौर पर हमारे अपने आचरण के बारे में भटके हुए लगते है। यीशु ने आज्ञा दी कि जब हमारे स्वयं के साथ ही बहुत ज्यादा ग़लत है तो हमें अन्यों में क्या गलत है इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है (देखें मत्ती 7:3-5)।
बाइबल हमें साफ-साफ बताती है कि जब हम दूसरों को परखते है, हम अक्सर उन बातों के लिए उन्हें परखते हैं जो हम भी करते हुए होते है!
मैंने एक बार परमेश्वर से पूछा कि क्यों हम स्वयं कुछ करते और सोचते कि यह बिल्कुल सही है पर जब कोई अन्य यह करता तो उन्हें परखते है। प्रभु ने मेरे दिल से, यह कहते बात की, “जॉयस, तुम स्वयं को गुलाबी रंग के चश्में से देखती, और बाकी सब को आवर्धक शीशों से देखती हो।”
यह सत्य है! हम हमारे अपने व्यवहार के लिए बहाने बनाते है, पर कोई अन्य वही बात करता है जो हम करते है, हम अक्सर दयाहीन होते है।
मैं आपको प्रक्रिया को उलटाने के लिए कहती हूँ – अन्यों में उत्तम की कल्पना करें, पर अपने स्वयं के जीवन को आवर्धक शीशे के नीचे रखें। पहले स्वयं के साथ परमेश्वर को हल करने की अनुमति दें, और फिर आप अन्यों को वृद्धि करने में सहायता के लिए वचन के ढंगो को सीखेंगे।
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, अन्यों के जीवनों की जाँच करने की बजाए, मैं चाहती हूँ आप मेरे स्वयं के जीवन को जाँचने में सहायता करें। मैं जानती हूँ कि आपकी सहायता के साथ, मैं मुद्दों को सुधार सकती और अन्यों की भी वृद्धि करने में सहायता के सकारात्मक, सेहतमंद ढंगों को खोज सकती हूँ।