छुड़ाने हेतु अभिषेक

छुड़ाने हेतु अभिषेक

प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालो को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ। और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।- लूका 4:18-19

प्रत्येक बार जब मैं किसी सभा में बोलना समाप्त करती हूँ, तब लोग मेरे पास दुरूपयोगी और दुःख भरे कहानियो को लेके आते है। मैं उन्हें समझती और अक्सर उनके साथ दुःखी भी होती। मैं इसलिये उनको समझ पाती क्योंकि मैं भी उसी दशा में थी। अपनी इस पुस्तक मन की युद्धभूमि में मैंने ऐसी कुछ पृष्ठभूमि का वर्णन किया है।

मैं इस बात की ओर इसलिये इशारा करती हूँ, क्योंकि उन्नति नहीं करने के लिये पराजय में जीने के लिये और अपने मन को शैतान को नियंत्रित करने देने के लिये एक बहाने के रूप में इस्तेमाल किया था।

और किस बात की आप अपेक्षा कर सकते हैं? देखिए मैं कहाँ से आई हूँ? मैं लोगो को इस प्रकार से कहते हुए सुनी हूँ। शायद उन्हें यह सोचने से सांत्वना मिलती है कि उनके भूतकाल में जो कुछ हुआ वह उनके वर्तमान और भविष्य का निर्णय करता है। यदि वे शैतान के झूठ पर विश्वास करना चाहते हैं, तो उनके साथ ऐसा करने का विकल्प है।

क्या आप नहीं जानते कि परमेश्वर आप से प्रेम करता है? और यीशु आपको आपके भूतकाल से छुड़ाना चाहता है? मैं उनसे पूछती। क्या आप नहीं समझते कि आप जहाँ थे वह प्रारंभिक स्थान था। आप निर्णय ले सकते हैं कि आपको कहाँ जाना है, और अपने जीवन को कैसे जीना है।

मैं अपनी पृष्ठभूमि के कारण और परमेश्वर के वचन से प्राप्त सच्चाईयों के कारण और परमेश्वर की छुड़ौती जिस का मैंने अनुभव किया, उसके कारण मैं यह शब्द कह सकती हूँ।

लूका के सुसमाचार में वर्णित यीशु मसीह के सार्वजनिक सेवकाई के पहिले विवरण से मैंने कुछ महत्वपूर्ण और सामर्थी बात सिखी। यीशु अपने गृहनगर नासरत के आराधनालय में गया और अगुवे ने उसे यशायाह के पुस्तक पढ़ने को दी और ऊपर लिखित शब्द यीशु ने पढ़े। वहां बैठे लोगो ने जो बात नहीं समझी वह जो पढ़ रहा था वह उसका स्वयं का वर्णन कर रहा था। कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालो को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्दियों को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करू और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ। (पद 18)।

क्या यीशु ने तब ऐसा नहीं किया? क्या यीशु अब भी ऐसा नहीं करता है ? उसने कहा कि परमेश्वर ने मुझे इस काम के लिये अभिषेक छुड़ाने हेतु अभिषेक किया है। यदि यह सच है – मैं एक क्षण भी अविश्वास नहीं करती – तो मैं वास्तव में एक बन्दि रहने के द्वारा परमेश्वर का आदर करती हूँ? यदि मुझे छुड़ाने के लिये यीशु ने अभिषेक प्राप्त किया, तो दो परिणामों में से एक ही हो सकता है। वह मुझे छुड़ाता है या नहीं।

यह मन की युद्धभूमि है, जैसा मैं बार बार इशारा करती हूँ। यीशु कहता है, ‘‘उसने मेरा अभिषेक किया है।’’ शैतान पूछता है, ‘‘क्या परमेश्वर ने वास्तव में यीशु का अभिषेक किया?’’

आपकी छुड़ौती इस बात में निर्भर करती है कि आप किस आबाज पर ध्यान देते हैं। यदि हम यीशु पर ध्यान देते और उस पर विश्वास करते हैं, तो वह कहता कि छुड़ौती न केवल संभव है बल्कि यह वास्तविकता है। यदि परमेश्वर ने इस उद्देश्य के लिए यीशु को अभिषेक किया, उसका तात्पर्य है कि परमेश्वर ने उसे सामर्थ दिया। यीशु कैदखानो को खोलने और बन्दिओं को छुड़ाने आया। मैं और आप तब तक स्वतंत्र नहीं हो सकते, जब तक हम विश्वास नहीं करते। यदि आप विश्वास करते हैं कि परमेश्वर आप से प्रेम करता है, और आप के लिये उत्तम चाहता है, और आपके जीवन के लिये एक सिद्ध योजना रखता है। तो आप सन्देह कैसे कर सकते हैं?

आपका भूतकाल भयनाक, निराशाभरा, और दुरूपयोग से पूर्ण हो सकता है, जैसा मेरा था। आप से भी बुरा बचपन हजारों लोगो का था, लेकिन चंगाई प्राप्त किया। लूका का चौथा अध्याय आराधनालय का वर्णन करता है जहाँ यीशु गया। ‘‘आराधनालय में एक मनुष्य था, जिस में अशुद्ध आत्मा थी।’’ (लूका 4:33)। यीशु ने उसे स्वतंत्र किया। यीशु यह किया, क्योंकि यही प्रभु करता है। वह बन्दिओं को छुड़ाता है और वह आपको भी छुड़ाएगा।

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प्रभु यीशु, मुझे छुड़ाने के लिये आपका अभिषेक किया गया। शैतान के आबाज को सुनने के लिये मुझे क्षमा कीजिये। जो मुझे यह महसूस करने देता है, कि मेरी कोई सहायता नहीं कर सकता। तू छूड़ानेवाला है, तेरे पवित्र नाम में मैं माँगती हूँ, कि तू मुझे हर उन बातों से छुड़ा जो मुझे पूर्ण रूप से तेरी सेवा करने से पीछे खींचती है। आमीन्।।

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