दुःखियारे के सब दिन दुःख भरे रहते हैं, परन्तु जिसका मन प्रसन्न रहता है, वह मानो नित्य भोज में जाता है। – नीतिवचन 15:15
अपने जीवन में मैं एक बार एक ऐसे दौर से गुज़री जब मैं व्याकुलता की मारी हुई थी। मैं बिना किसी खास कारण से भय और आशंकाग्रस्त थी। मैं लगातार यह महसूस करती रही कि कुछ भयानक होनेवाला है। अन्ततः मैं प्रभु के पास गई और पूछा कि मुझे क्या परेशान कर रहा था। उसने मुझ से कहा कि यह ‘‘बुरे भविष्यवक्ता”थे। उस समय मैं यह भी नहीं जानती थी कि उस वाक्यांश का अर्थ क्या है या वह कहाँ से आया। कुछ समय पश्चात् मैंने नीतिवचन 15:15 एम्प्लीफायड बाइबल में पढ़ा। मैंने तुरन्त जाना कि प्रभु ने उस समय मुझ से जो कहा था कि जो बात मुझे परेशान कर रही है वह ‘‘बुरे भविष्यवक्ता” थे।
उन दिनों बहुत से अन्य लोगों के समान मैं भी थी। मैं कुछ ‘‘बड़ी समस्या”खोज रही थी जो मुझे जीवन का आनंद उठाने से रोक रही थी। मैं सब कुछ के विषय में बहुत अधिक तनावग्रस्त थी, मैं स्वयं के लिए समस्याएँ पैदा करती थी जबकि कुछ भी वास्तव में नहीं था। एक बार एक सभा में प्रभु ने मुझ से कुछ कहने के लिए कहा। प्रगट रूप से किसी को इसे सुनने की ज़रूरत थी। ‘‘कुछ नहीं से कुछ बनाना बंद करो।” मैं इस प्रकार की एक व्यक्ति थी जिसे इस प्रकार का निर्देश सुनने की ज़रूरत थी। मैं छोटी बातों को बड़ा कर सकती थी। मुझे कुछ बातों को टाल देना सीखना था-उन्हें भूल जाना और आगे बढ़ना। हम में से कुछ लोग ऐसी बातों पर कुण्ठाग्रस्त हो जाते हैं जिस पर कुण्ठाग्रस्त होना सही नहीं है। ‘‘वे छोटी लोमड़ियाँ जो दाख की बारी को बिगाड़ती है।” (श्रेष्ठगीत 2:15) यदि हमारे जीवन में एक के बाद एक छोटी बातों पर कुण्ठित होना है जिसका वास्तव में कोई अर्थ नहीं है तो हमारे पास अधिक शांति और आनंद नहीं होता।