जो तुम्हें स्राप दें, उनको आशीष दोः जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिये प्रार्थना करो। – लूका 6:28
जब कोई आपकी भावनाओं को चोट पहुँचाता है तो आप कैसे प्रतिक्रिया देते है? क्या आप इसे आपके आनन्द को लूटने देते है? या क्या आपकी भावनाएं बेकाबू हो जाती है?
लूका 6:28 हमें बताती है कि जब लोग हमें दुख पहुँचाते तो हमें क्या करना चाहिएः हमें उनके लिए प्रार्थना करनी और उन्हें आशीष देनी चाहिए।
जो आपको श्राप देते है उनकी खुशियों के लिए प्रार्थना करना एक स्वाभाविक जवाब नहीं होता है। पर परमेश्वर की बुद्धि हमारी बुद्धि से कहीं ऊँची है, इसलिए चाहे कि यह “सही” नहीं भी प्रतीत होता हो, पर यह करना सही बात है। और मैं आज्ञाकारिता में इसे करने और यह कहने की इच्छुक हूँ, “प्रभु जो मुझे दुख पहुँचाते मैं उन्हें आशीष देना महसूस नहीं करती हूँ, फिर भी मैं विश्वास में इसे करने के लिए प्रार्थना करती हूँ, क्योंकि आप आपकी उपस्थिति के साथ उन्हें आशीष देने के लिए मुझे कह रहे है।”
उनके लिए प्रार्थना करना चुनना उन सब मुश्किल बातों में से एक है जो परमेश्वर हमें करने के लिए कहता है, विशेषकर अगर हम विश्वास करते है कि जिस किसी ने भी हमें दुख पहुँचाया वो गलत है और क्षमा किए जाने का हकदार नहीं है।
पर परमेश्वर हमें क्षमा का अभ्यास करने का निर्देश देता है। और जब हम क्षमा के मार्ग का अनुकरण करना चुनते है, हम उस शांति और आनन्द का अनुभव करेंगे जो परमेश्वर के वचन का आज्ञा पालन करने से आता है। जब आप परमेश्वर का आज्ञा पालन करते, वह आपको अपमान के दर्द पर जय पाने और ज्यादा जीवन का आनन्द लेने में सहायता कर सकता है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, यह मुश्किल है, पर मैं उनके लिए प्रार्थना करती हूँ जिन्होंने मुझे दुख पहुँचाया और आपसे उनके लिए आशीष माँगती हूँ। दुख से आजाद होने और उन्हें क्षमा करने में मेरी सहायता करें।