
जो कोई परमेश्वर से (पैदा) जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उसमें बना रहता है, और वह पाप कर ही नहीं सकता क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है। -1 यूहन्ना 3:9
मैं इस प्रकार कहना चाहती हूँ कि, मैं एक पूर्णकालीक पापी हुआ करती थी और दुर्घटनावश कभी मैं ऊपर उठती और कभी अच्छा करती थी। परन्तु अब मैंने परमेश्वर और उसके साथ व्यक्तिगत संबंध का एक गहरा संबंध बहुत वर्षों से विकसित किया हैं। और मैं परमेश्वर की एक पूर्णकालिक आज्ञापालन करनेवाली एक बच्ची बनने पर ध्यान केन्द्रित करती हूँ। मैं अब भी गलतियाँ करती हूँ, परन्तु उस रीति से नहीं जैसा मैं पहले किया करती थी। मैं वहाँ नहीं हूँ जहाँ मुझे होना चाहिए, परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो कि मैं वहाँ हूँ जहाँ मैं अक्सर पाई जाती थी।
बहुत बार मैं दुर्घटनावश गलतियाँ करती हूँ परन्तु गलती करने की इच्छा मेरे हृदय की नहीं है। मैं जान-बूझकर जाने में आदतवश पाप नहीं करती हूँ। इसलिए मैं उन अवसरों को अपने आपको असुरक्षित महसूस करने नहीं देती हूँ। मैं सब कुछ सही नहीं करती हूँ, परन्तु मैं जानती हूँ कि मेरे हृदय की प्रकृति सही है। मैं एक अद्भुत दिन व्यतीत कर सकती हूँ जहाँ पर परमेश्वर के साथ बहुत निकटता और आत्मिक महसूस करूँ। तब मेरे पति डेव घर आते और कहते हैं, कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या पहनती हूँ। और मैं तुरन्त क्रोधित होती हूँ और रक्षात्मक स्थिति में आ जाती हूँ और उनसे वह सब कहती हूँ जो मैं उनके विषय में पसंद नहीं करती हूँ। मैं नहीं चाहती थी कि ये बातें हो; वास्तव में मैंने उनके घर आने पे बहुत ही मधुर और विनम्र व्यवहार करने की योजना बनाई थी।
परन्तु रोमियों 7 में पौलुस ने जैसा कहा, जो मैं करना चाहता हूँ वह मैं नहीं करता हूँ, और जो मैं नहीं करना चाहता वही मैं कर बैठता हूँ। हम अच्छे व्यवहार की उम्मीद की योजना बनाते हैं, क्योंकि हमारा व्यवहार अच्छा है। परन्तु पौलुस के समान हमारी योजनाएँ हमेशा काम नहीं करती हैं। उसके अनुग्रह के लिए परमेश्वर का धन्यवाद हो जो प्रतिदिन नया होता है। (विलापगीत 3:22-23 देखिए)