परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया है। जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आँख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुनी, और जो बातें मनुष्य के चित में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की है। परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है।- 1 कुरिन्थियों 2:7-10
इस्राएल के सन्तानों के विषय में एक बात मुझे बहुत अधिक परेशान करती थी। उन्होंने मूसा के किए आश्चर्यकर्मों को देखा था। उन्होंने उन दस विपत्तियों को देखा था जिसमे फसल, पशुओं, पहिलौठों का विनाश हुआ था। फिर भी इनमें से कोई भी विपत्ति गेर्सेन के देश में उन्हें नहीं छुई थी। यह लाल सागर के किनारे खड़े हुए थे और पानी को दो भाग में विभक्त होते हुए देखा था, और बाद में पीछे मुड़कर मिश्रियों को डूबते हुए देखा था। चालीस वर्षों तक वे एक के बाद एक आश्चर्यकर्मों का अनुभव करते रहे।
मैं यह पूछा करती थी, उन्होंने क्यों विश्वास नहीं किया? उन्होंने व्यक्तिगत रूप से चिन्हों और आश्चर्यकर्मों को होते हुए देखा था। परन्तु वे अविश्वासी ही रहे। यहोशु और कालेब के अलावा सारे बड़े लोग जिन्होने परमेश्वर के कार्य मिस्र देश में देखा, यर्दन नदी पार करते हुए मर गए।
एक दिन जब मैं इस भाग को पढ़ी, तो उत्तर मेरे लिये स्पष्ट हुआ। हम अपने स्वभाविक आँखों से या मानविय तर्क वितर्कों से परमेश्वर को नहीं समझते हैं। पवित्र आत्मा द्वारा सहायता से ही हम परमेश्वर को समझते हैं। पूर्ण इस्राएलियों ने जंगल में आश्चर्यकर्म देखा था, परन्तु उन्होंने कभी भी परमेश्वर का अनुभव नहीं किया था। उन्होंने आश्चर्यकर्म को होते हुए देखा था, लेकिन वे कभी परमेश्वर को ग्रहण नहीं कर पाए।
पौलुस यही सन्देश हमारी सामने प्रस्तुत करता है। वह कहता है कि परमेश्वर ने हमें तैयार किया – वे जो विश्वास करते और आज्ञा पालन करते हैं, और उस ने पर्दा हटाकर हम पर प्रगट किया। (पद 10)। पवित्र आत्मा के द्वारा आत्मिक वास्तविकताएँ। यह कहने का दूसरा तरीका है, कि जब तक हम केवल घटनाओं पर या सत्य को ही देखेंगे, परन्तु उनसे परे नहीं देखेंगे। हमारे पास देखनी की आँखें और सुनने के कान नहीं होते।
यहीं पर शैतान अच्छी तरह काम करता है। वह हमें अन्धा और बहरा रखने का प्रयास करता है, ताकि हम परमेश्वर की आत्मा को कायल करते हुए न देख सकें। उदाहरण के लिये, एक आराधना सभा में कोई किसी महिला के लिये प्रार्थना करता है, जो बहुत दर्द में है और वह चंगी हो जाती है। वे जिन के पास देखने की आँख और सुनने के कान होती हैं, वे तुरन्त परमेश्वर की स्तुति करते हैं। वे जो अभी भी शैतान के झूठे चालों में फंसे हुए रहते हैं, वे कहते हैं, ‘‘ओह, ये सब मानसिक बातें हैं। उस के साथ कुछ भी तकलीफ नहीं थी।’’
बहुत पहले मैंने यह सिखा कि, आत्मिक रूप से अन्धे लोगों के साथ बहस करने और उन्हें परमेश्वर के काम को देखने के लिये मनाने का कोई प्रयोजन नहीं हैं। जब तक पवित्र आत्मा उन की आँखों को प्रकाशित नहीं करता है, वे कभी भी परमेश्वर की सामर्थ को मनुष्य की जीवन में काम करते हुए ग्रहण नहीं कर सकते। केवल वे जो पवित्र आत्मा के सामर्थ के द्वारा प्रकाशित किऐ गये हैं, आत्मिक सच्चाईयों को सच में ग्रहण कर सकते हैं। उन पर जो उस से प्रेम करते और विश्वास करते हैं, परमेश्वर आत्मिक सच्चाईयों को प्रगट करता है। जिन के पास यह समझ है कि परमेश्वर का आत्मा काम करता है, उन्हें वह निश्चयता देता है। जब पवित्र आत्मा हम में काम करता है, तब हमें अन्धा करने के शैतान के प्रत्येक चाल पर हम सामर्थ प्राप्त करते हैं।
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परमेश्वर, मुझे प्रतिदिन प्रकाशित कर। अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तुझे देखने के लिये और तेरी निश्चयता और उपस्थिति में आनन्द करने के लिये मुझे योग्य कर। यीशु मसीह की नाम से माँगती हूँ। आमीन्।।