अतः (अब) जो मसीह यीशु में हैं उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं। (क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।) -रोमियों 8:1
जब आप बुरे दिनों से गुज़रें तो दोष भावना न रखें। पुनः उठ खड़े हों और अपने आप को झाड़ें और पुनः प्रारंभ करें। जब एक बच्चा चलना प्रारंभ करता है, वह बहुत बहुत बार गिरता है इससे पहले कि वह आत्मविश्वास पूर्वक चलने का आनंद उठाए। फिर भी बच्चे के पक्ष में एक सत्य यह है कि चाहे यद्यपि वह कुछ समय के लिए गिरने के पश्चात् रोए वह हमेशा उठ खड़ा होता और फिर से प्रयास करता है।
शैतान आपको निराशा और दोष लगाने के द्वारा रोकने का प्रयास करेगा। जब दोषारोपण आता है अपने “वचन के हथियार” को इस्तेमाल करिए। रोमियों 8:1 कहता है कि शैतान को और स्वयं को स्मरण दिलाइए कि आप शरीर के अनुसार नहीं परन्तु आत्मा के अनुसार जीते हैं। शरीर के पीछे चलना स्वयं पर भरोसा रखना है, आत्मा के अनुसार चलना परमेश्वर पर भरोसा रखना है। जब आप पराजित होते हैं (जब आप होंगे) इसका यह मतलब नहीं कि आप पराजय हैं। इसका केवल यह अर्थ है कि आप हर बात सही नहीं करते हैं। हमें यह सच्चाई को स्वीकार करना है कि सामर्थ्य के साथ साथ हममें कमज़ोरियाँ भी हैं। अपनी कमज़ोरियों में मसीह को सामर्थी होने दीजिए। अपने कमज़ोर दिनों में उसे आपकी सामर्थ्य बनने दीजिए।