परन्तु परमेश्वर…

परन्तु परमेश्वर...

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है  कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह (अभिषिक्त जन) हमारे लिए मरा। -रोमियों 5:8

बाइबल में एक छोटा सा वाक्य है जिसके विषय में मैं हर समय उत्तेजित होती हूँ जब भी मैं इसे पढ़ती हूँ। यह छोटे से शब्द है परन्तु यह संपूर्ण बाइबल में पाए जाते है और यह संभवतः सबसे शक्तिशाली दो शब्द वाला वाक्य है जो इसमें पाया जाता है। यह हैः परन्तु परमेश्वर…

जब हम बाइबल को पढ़ते हैं हम लगातार उन भयावह और विनाशकारी बातों को पढ़ते हैं जो शैतान ने परमेश्वर के लोगों के विरूद्ध योजना बनाई है। तब हम इस छोटे से वाक्यांश में आते हैं, परन्तु परमेश्वर…और अगली बात जो हम पढ़ते हैं एक विजय के विषय में है। ऊपर लिखित वचन में इस तथ्य को बताया गया है कि हम सब पापी हैं और हम दण्ड और मृत्यु के अधिकारी हैं। परन्तु परमेश्वर… यह वाक्य इस प्रक्रिया को रोकता है। परिस्थिती में परमेश्वर के प्रेम को लाया जाता है और सब कुछ बदल जाता है।

जब हम पापी ही थे मसीह हमारे लिए मरा और यह करने के द्वारा अपना प्रेम हमारे लिए प्रगट किया। उसने प्रमाणित किया कि उसका प्रेम पाप के सर्वनाश को रोकता है। जब परमेश्वर ने मुझे सेवकाई में बुलाया, लोगों ने मुझ से कहा, “जॉयस, हमारा एक समूह बातचीत कर रहा था और हम महसूस करते हैं कि ऐसा कोई तरीका नहीं है कि तुम कभी वह बात कर सको जिसके विषय में तुम कहती हो कि परमेश्वर ने जो कहा है कि तुम करने जा रही हो। हम ये नहीं महसूस करते हैं कि तुम्हारा व्यक्तित्व ऐसे किसी कार्य के लिए उपयुक्त है।” मैं अब भी याद करती हूँ कि मैंने कैसे अजीब सा महसूस किया जब उस समय उन लोगों ने मुझ से कहा।

मुझे चोट पहुँची और मैं निरूत्साहित हुई …परन्तु परमेश्वर ने मुझे बुलाया था और उसने मुझे योग्य किया। जो अन्य लोगों ने सोचा था कि मैं उपयोगी भी नहीं हूँ परमेश्वर ने उसमें मूल्य देखा। उसने मेरी सहायता की और वह आपके लिए भी ऐसा करेगा।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon