परमेश्वर अधिकार को देता है

हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर [उसकी इजाजत उसकी अनुमति] से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। (रोमियों 13:1)

अधिकार के प्रति आदर और अधीनता का एक रवैया हमारे प्रतिदिन के जीवनों में रसने की आवश्यकता है – क्योंकि हमें सुरक्षित रखने और हमारे आनन्द को उन्नत करने के लिए परमेश्वर अधिकार को स्थापित करता है। वह हमें आत्मिक अधिकार और संसारिक अधिकार दोनों देता है, और दोनों का आज्ञा पालन करना महत्वपूर्ण है। यहां तक कि अधिकार रखे गए चिन्हों का भी पालन किया जाना चाहिए। अगर यहां पर “पार्किग नहीं” का क्षेत्र है, तब वहां पर गाड़ी मत खड़ी करें। अगर गाड़ी लगाने की जगह केवल अपाहिज व्यक्तियों के लिए है और आप अपाहिज नहीं है, तब वहां गाड़ी मत खड़ी करें चाहे इसके लिए आपको दूर से ही क्यों ना पैदल चलकर आना पड़े! अगर लाल बत्ती पर “रूके” आता है, तो आप रूक जाएं। केवल आप जल्दबाजी में है इसके लिए सड़क को पार मत करें। अगर आप “आगे नहीं निकलना” क्षेत्र में है तो साधारणता ही आप दूसरे से आगे ना निकलें।

आप सोचते हो सकते है, देखो, यह बातें कोई फर्क नहीं बना सकती है। यह सब छोटी बातें है। मेरे पास इससे बड़ी समस्याएं है जिनको हल किए जाने की आवश्यकता है। हम सभी अपनी बड़ी समस्याओं को रखते है जब तक कि हम यह नहीं सीखते कि अधिकार का पालन करना या नहीं करना हमारी छोटे, प्रतिदिन का प्रतीत होते चुनाव हमारे जीवनों पर एक बड़ा प्रभाव डालते है।

ऐसे ही अन्य व्यवहार जिनका मैंने वर्णन किया है अधिकार के प्रति एक अनादर का व्यवहार रखते है, और वो परमेश्वर की आवाज सुनने की हमारी योग्यता को रोकता है क्योंकि परमेश्वर स्वयं हमारे जीवनों में अधिकार को रखता और चाहता है कि हम इसका आदर करें। जब हम हमारे इर्द-गिर्द अधिकार का आदर करते तो हम उसका आदर करते है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः छोटी बातों में भी परमेश्वर की आज्ञा मानने के प्रति बहुत सावधान रहें और वो आपके जीवन में एक बड़े फर्क को लाएगी।

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