
यीशु ने उससे कहा, (तुम मुझसे कहते हो) यदि तू कर सकता है? यह क्या बात है! विश्वास करने वालों के लिए सब कुछ हो सकता है। -मरकुस 9:23
मैं जो आज कर रही हूँ, वह करना मेरे लिए असंभव है। जब परमेश्वर ने मुझे सेवकाई के लिए बुलाया तो यह कहना कि मैं बहुत अधिक मुसिबतों से घिरी हुई थी, उससे मेरी स्थिति का वर्णन भी प्रारंभ नहीं होता है। परन्तु मैं परमेश्वर से प्रेम करती थी और मैं उस रीति से नहीं होना चाहती थी जिसमें मैं थी। और मैं उस मार्ग पर और अधिक रूकना नहीं चाहती थी जिसमें मैं थी। मैं नहीं जानती थी कि कैसे अपने मार्ग को बदलूँ जिसमें मैं थी, और भिन्न और अच्छी हूँ। परमेश्वर को इसमें बहुत वर्ष लगे कि मुझे उस स्थान पे पहुँचाए जहाँ मुझे होने की ज़रूरत थी। परन्तु मैं विश्वास करती हूँ कि वह इन अंतिम दिनों में धार्मिकता का कार्य जल्दि करता है।
आप उस रीति से महसूस कर सकते हैं जैसे मार्था ने किया जब उसका भाई लाज़र मर गया। जिसने यीशु से कहा, “स्वामी, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई नहीं मरता।” (यूहन्ना 11:21) यीशु उस दृश्य में जल्दी पहुँच सकता था, परन्तु बाइबल कहती है कि यीशु जान बूझकर तब तक रूका रहा जब तक लाज़र मर नहीं गया और कब्र में नहीं रखा गया। वह तब तक ठहरा रहा जब तक परिस्थिती पूरी रीति से असंभव न हो जाए कि उसमें से कुछ भला यदि निकलता है तो सब जाने कि यह परमेश्वर का कार्य था। (यूहन्ना 11:1-45 देखिए)
हमें समझने की ज़रूरत है कि परमेश्वर हमारी परिस्थिती के अनुसार कार्य नहीं करता है या जब वह उतनी शीघ्रता से कार्य नहीं करता है जितना हम चाहते हैं कि वह करे तो वह कुछ उद्देश्य के कारण के साथ इंतज़ार कर रहा होगा। जब हम सोचते हैं कि हमें अपनी परिस्थितियों से निकलने का और कोई रास्ता नहीं बचा है परमेश्वर हमें दिखाएगा कि वह हमारी ओर से कितना सामर्थी और अद्भुत है। (2 इतिहास 16:9 देखिए)
मैं वर्षों तक परमेश्वर की सेवा करने का प्रयास करती रही थी। उसने मुझे पूरे पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से छुने के लिए उसने इतना लम्बा इंतज़ार क्यों किया? वह दो वर्ष पहले ऐसा क्यों नहीं किया? चार वर्षों पहले? मैं सोचती हूँ कि इसलिए तब तक इंतज़ार किया जब तक कि वो यह प्रमाणित करने के लिए एक आश्चर्यकर्म न बन जाए कि वह मेरे जीवन में कार्य कर रहा था। यह सच्चाई है कि परमेश्वर मेरे जीवन को उसकी सेवकाई के लिए इस्तेमाल करता है यह अपने आप में एक आश्चर्यकर्म है।