इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओः यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। (रोमियों 12:1)
परमेश्वर आपको चाहता है! वह आपके दिल का पूर्ण संरक्षण चाहता है, ना कि केवल मुलाकात के लिए आने का अधिकार। लोग अक्सर शिकायत करते है कि वह यीशु के नाम में प्रार्थना करते और कुछ नहीं होता है – पर जितना समय वह उसके साथ खर्च करते है उस पर गौर करते हुए, यह प्रत्यक्ष हो जाता है कि वो केवल उसके साथ “मुलाकात” ही करते है। मुझे मेरे पति का नाम तब तक नहीं मिला जब तक मैंने उससे विवाह नहीं किया। यीशु उसकी कलीसिया के साथ एक शादीशुदा संबंध को चाहता है ताकि हम उसके नाम को जहां भी आवश्यकता हो इस्तेमाल कर सकें और उसकी शक्ति को सामर्थ्य के साथ कार्य करता देख सकें।
परमेश्वर के साथ निकटता हमारे जीवनों में उसकी शक्ति को कार्य करने के लिए उत्साहित करती है। हम निकटता को सभी मुस्कराहट और स्नेही, अस्पष्ट भावनाएं करके नहीं देख सकते है। जब एक संबंध करीबी होता है, एक व्यक्ति दूसरे के साथ सुधार के लिए बोल सकता है और पूर्ण ईमानदारी दोनों के बीच रह सकती है। हमारे पास अद्भुत पल है, पर हमारे पास वो पल भी होते है जब वह ईमानदारी के साथ उन बातों का सामना करने के लिए बुलाता जिन्हें हमारे जीवनों में बदलने की आवश्यकता होती है।
कुछ लोग जंगली घोड़ों के समान अपने ऊपर काठी लगाने के अनिच्छुक होते है ताकि वह एक सवार को ना ले जा सकें। उन्होंने नही सीखा है कि शांति के लिए उनकी अपनी बेदारी तब होती है जब वह परमेश्वर के अधीन होते और उत्सुकता के साथ उसका आज्ञा पालन करते है। वह दृढ़ घोड़े के बछड़े के समान होते जो उनके मुंह में एक लगाम या लगाम की मुखरी लगाने का विरोध करते है, जो कि परमेश्वर के द्वारा सुरक्षित और प्रबन्ध के एक स्थान में उनकी अगुवाई करने के लिए इस्तेमाल हो सकती है।
कुछ लोग अपने जीवनों की लगाम परमेश्वर को देने के इच्छुक नहीं होते क्योंकि वो अपनी मंजिलों पर स्वयं नियंत्रण करना चाहते है। पर वह जब तक स्वयं को पूरी तरह पवित्र आत्मा के आगे समर्पण नहीं करते तब तक वह उस सुरक्षा या शांति को कभी महसूस नहीं कर सकते जिसकी वह लालसा रखते है। वह आपको चाहता है; अपना सब उसे दें।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः पूरी तरह समर्पित इच्छा आपकी समझ से परे एक शांति को लाएगी।