
परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। -यूहन्ना 16:13
यह एक काफी बुनियादी बात लगती है, पर मैं विश्वास करती हूँ कि यहां पर अभी भी बहुत से लोग है जो अभी भी पूछते है कि क्या परमेश्वर लोगों से बात करता है। क्या आपने कभी इसके लिए अचम्भा किया है? क्या आप कभी स्वयं से पूछते कि क्या परमेश्वर कभी मुझ से बात करेगा? आप यह जानकर प्रसन्न होंगे कि उत्तर हां है।
यीशु ने पृथ्वी पर उसके समय के अंत में, अपने शिष्यों से कहा, मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी है, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। – यूहन्ना 16:12-13।
जब यीशु ने यह बातें कहीं, वह उन लोगों से बात कर रहा था जिनके साथ उसने पिछले तीन साल व्यतीत किए थे…फिर भी उसके पास अभी उनको सिखाने के लिए अभी और था। यह अचम्भित करने वाला है, क्योंकि मैं ऐसा सोचूँगी कि अगर यीशु मेरे साथ तीन साल तक, दिन और रात होता, तो सब जो जानने की आवश्यकता थी मैंने व्यक्तिगत जान लिया होता।
पर यीशु के पास सदैव कहने के लिए ज्यादा होता है क्योंकि हम सदा जीवन में नई स्थितियों का सामना कर रहे होंगे जिनमें वह हमारा मार्गदर्शन करना चाहता है। इसी लिए हमें पवित्र आत्मा दिया गया है-ताकि हम परमेश्वर को बोलता हुआ सुन सकें, जब वह शरीरिक रूप में हमारे सामने नहीं हो सकता।
मसीह, और पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा, परमेश्वर प्रत्येक दिन आपके साथ व्यक्तिगत बात करना चाहता है। वह कदम-दर-कदम आपकी उन अच्छी बातों में अगुवाई करना चाहता है जो उसने आपके लिए जमा की है।
पिता उन सब को अपने पवित्र आत्मा का उपहार देगा जो उसको उससे माँगते है (देखो लूका 11:13)। मैं एक बार फिर बल देकर कहना चाहती हूँ कि हम में से प्रत्येक परमेश्वर से प्रतिदिन सुन सकते और पवित्र आत्मा के द्वारा अगुवाई किए जा सकते है। क्या आप सुन रहे है?
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं पवित्र आत्मा के द्वारा अगुवाई पाना चाहती हूँ। मैं विश्वास करती हूँ कि आप मुझ से बात कर रहे है, और मैं उसे सुनना चाहती हूँ जो आपको कहना है।