और उसके भाई आप भी जाकर उसके सामने गिर पड़े, और कहा, “देख, हम तेरे दास (गुलाम) हैं।” यूसुफ ने उनसे कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह (के स्थान पर, मेरा नहीं) पर हूँ? यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिए बुराई का विचार किया था; परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिससे वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। -उत्पत्ति 50:18-20
हमारे साथ बीते समय में चाहे कुछ भी हुआ हो इसे हमारे भविष्य पर हावी होने नहीं देना है। चाहे लोग हमारे प्रति कुछ भी करने का प्रयास किए हों परमेश्वर उसे लेकर उसे हमारे भलाई के लिए मोड़ सकता है। “हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।” (रोमियों 8:28) कभी कभी हम भूल जाते हैं कि हमारा परमेश्वर कितना महान है।
उन प्रत्येक बातों के द्वारा जो उसके साथ हुई यूसुफ अपनी आँखों को परमेश्वर की तरफ़ लगाए रहा। वह शिकायतों को पकड़कर नहीं बैठा रहा बल्कि “दया और आनंद” में रहा। यद्यपि उसके अपने भाइयों ने जो उसके साथ किया था परन्तु वह अपने आपको कभी भी कड़वाहट, बदले की भावना, और अक्षमा से भरने नहीं दिया। वह जानता था कि इससे कोई असर नहीं पड़ता कि उसके विरोध में कौन है क्योंकि परमेश्वर उसके पक्ष में था और क्रमशः वह सब करेगा जो उसकी भलाई के लिए है। यूसुफ जानता था कि जो कुछ भी हुआ है उसके पक्ष में हुआ है। उसने परमेश्वर को अपना पद, जीवन और भविष्य को बनाने के लिए मौका दिया।
यही मुझे और आपको करने की ज़रूरत है। हमें शरीर पर भरोसा नहीं रखना है परन्तु प्रभु की बाहों में अपने आपको संपूर्ण भरोसे के साथ डाल देना है।