और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों। -इफिसियों 1:5
क्यों परमेश्वर हमें अपरिपक्क होते हुए भी प्रेम करता है? क्योंकि वह यह जानता है-यह उसे प्रसन्न करता है। हमें प्रेम करना उसके स्वभाव में है, चाहे हमारे कार्य कितने भी पापी क्यों ना हो।
परमेश्वर बुराई को भलाई के साथ जीतता है (देखें रोमियों 12:21)। वह ऐसा अपने असीमित अनुग्रह को हम पर उडेंलने के द्वारा करता है ताकि जब हम पाप करें, उसका अनुग्रह हमारे पाप से महान बन जाए। और ठीक जैसा कि परमेश्वर के लिए प्रेम ना करना असंभव है, उसी तरह हम को उसके प्रेम से रोकने के लिए कुछ करना हमारे लिए असंभव है।
परमेश्वर इसलिए प्रेम करता क्योंकि यह उसका स्वभाव है। वह प्रेम है (देखें 1 यूहन्ना 4:8)। वो सब जो हम करते वह उससे सदैव प्रेम नहीं कर सकता; पर वह हम से प्रेम करता है। परमेश्वर का प्रेम वह शक्ति है जो हमारे पाप क्षमा करती, हमारे भावनात्मक जख्मों को चंगा करती और हमारे टूटे दिलों को जोड़ती है (देखो भजनसंहिता 147:3)।
परमेश्वर का प्रेम बेशर्ता है; यह उस पर आधारित है, हम पर नहीं! एक बार जब आप इसे पहचानते है कि परमेश्वर क्या आपने किया या नहीं किया से बेपरवाह आपसे प्रेम करता है, आप अविश्वसनीय बेदारी का अनुभव कर सकते है। आप उसके प्रेम को पाने का प्रयास करना छोड़ सकते और साधारण इसे प्राप्त कर सकते और इसका आनन्द ले सकते है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, आपका प्रेम अविश्वसनीय है। आपके प्रेम पर केन्द्रित होना मुझे यह याद कराता है कि यह आपकी भलाई पर केन्द्रित है, मेरे कामों पर नहीं। मेरे लिए आपके प्रेम को प्राप्त करने में मेरी सहायता करें।