परमेश्वर का प्रेम भावनाओं पर अधारित नहीं है

परमेश्वर का प्रेम भावनाओं पर अधारित नहीं है

और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। – रोमियों 5:5

मनुष्यों के लिए परमेश्वर के प्रेम के समान बेशर्ता प्रेम करना असंभव है। पर यीशु मसीह में विश्वासी होते हुए, हम में परमेश्वर का प्रेम है। हम उसे बिना शर्त के, मुफ्त में हम से बहने दे सकते है। हमारा प्रेम असफल होता है, पर परमेश्वर का नहीं होता है। हमारे प्रेम का अंत होता है, पर परमेश्वर के प्रेम का अंत नहीं होता।

कई बार मैंने पाया है कि यद्यपि कि मैं एक व्यक्ति को अपनी ताकत के साथ प्रेम नहीं कर सकती पर मैं परमेश्वर के प्रेम के साथ करने के योग्य होती हूँ। परमेश्वर का सच्चा प्रेम भावनाओं पर अधारित नहीं होता – यह एक निर्णय पर अधारित होता है। यह इस पर अधारित नहीं कि एक व्यक्ति इसका हकदार है या नहीं है। और इसलिए लोगों को रूककर पूछे बिना प्रेम करने के योग्य होना पूरी तरह आजादी वाला है।

मनुष्य प्रेम भावनाओं पर निर्भर होता है। यह लोगों को इसलिए प्रेम करता है क्योंकि वह हमारे साथ अच्छे रहे या उन्होंने पहले हम से प्रेम किया। उस किस्म का प्रेम आता जाता रहता है।
परमेश्वर का प्रेम पूरी तरह से भिन्न है। यह स्वयं परमेश्वर को छोड़ और किसी पर भी अधारित नहीं है। जब हमने मसीह को हमारा उद्धारकर्ता करके ग्रहण किया, परमेश्वर का प्रेम पवित्र आत्मा के द्वारा हृदयों में उडेंला गया। आज अन्यों के लिए परमेश्वर के प्रेम को उडेंले।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, मेरा प्रेम समाप्त हो सकता है, पर आपका कभी नहीं होगा। मैं निरंतर आपके असीम प्रेम से प्राप्त करना जारी रखूँगी ताकि मैं इसे अन्यों को, इस बात की चिंता किए बिना कि क्या वे इसके हकदार है या नहीं, दे सकूँ।

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