
क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिए एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है तो परमेश्वर के लिए जीवित है। ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिए तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिए मसीह यीशु में जीवित समझो। -रोमियों 6:10-11
अपनी सभी त्रुटियों और पराजयों पर मनन करना हमें कमज़ोर करता हैं परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह और क्षमा करने की इच्छा पर मनन करना हमें मज़बूत करता है। हमारा संबंध और संगति परमेश्वर के साथ होनी है अपने पापों के साथ नहीं। जितना अधिक आप अपने पापों, पराजयों, और गलतियों और कमज़ोरियों के साथ संगति करते हैं? चाहे यह कितने भी समय का हो यह व्यर्थ है। जब आप पाप करते हैं इसे स्वीकार करें, क्षमा की प्रार्थना करें और परमेश्वर के साथ संगति जारी रखे। ऊपर लिखित वचन कहता है कि हम परमेश्वर के लिए जीवित हैं। उसके साथ अटूट संबंध में जीवित हैं। प्रभु और आपके बीच में पाप आने न पाए। यहाँ तक कि जब आप पाप करें तब भी परमेश्वर आपके साथ संगति करना चाहता है, आपकी प्रार्थनाओं को सुनना और उत्तर देना चाहता है और आपकी सभी ज़रूरतों में आपकी सहायता करना चाहता है। वह चाहता है कि आप उसकी ओर दौड़े न कि उससे दूर!