परमेश्वर की बाट जोहना सीखिए

परमेश्वर की बाट जोहना सीखिए

इसलिए तू अपने परमेश्वर की ओर फिर; कृपा और न्याय का काम  करता रह, और अपने परमेश्वर की बाट निरन्तर जोहता रह! -होशे 12:6

यहूदा द्वारा यीशु का विश्वासघात किया गया तो वह वहाँ खड़ा रहा। तब भीड़ आई और यीशु पे अपना हाथ डाली और यीशु को गिरफ़तार किया गया।

पतरस, जो यीशु का बचाव करने के लिए तैयार था अपनी तलवार निकाली और महायाजक के सेवक पर आक्रमण किया और उसके कान को काट दिया। पुराने शेर जैसा पतरस दैहिक उत्तेजना से भरा हुआ था। आप जानते हैं पतरस क्या सोच रहा था? “धन्य है परमेश्वर, हमें इस प्रकार से गिरफ़तार होने की ज़रूरत नहीं है! तुम परमेश्वर के अभिषेक के साथ गलत कर रहे हो।”

परन्तु यीशु ने कहा, “‘अब और नहीं।’ और उसने उस मनुष्य के कान को छुआ और चंगा किया।” (लूका 22:51) पतरस हमेशा बात करता रहा है जब भी उसे बात करने की ज़रूरत नहीं थी और कार्य करता रहा है जब उसे कार्य करने की ज़रूरत नहीं थी। पतरस को सीखने की ज़रूरत थी कि किस प्रकार से परमेश्वर की बाट जोहते हैं और उसे दयालुता और कृपालुता सीखने की ज़रूरत थी। परमेश्वर पतरस को एक सामर्थी रीति से इस्तेमाल करना चाहता था परन्तु यदि पतरस शुभ समाचार का प्रचार करना चाहता था तो वह यह कार्य अपने तलवार को निकालने और अपने क्रोधित होने की दशा में किसी के कान को काटने के द्वारा नहीं कर सकता था।

हमारे उत्तेजक शब्द किसी को सुनने से रोक सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे पतरस ने सेवक के कान को काट दिया। हम लोगों के साथ वैसा व्यवहार कर सकते हैं जब कभी हम महसूस करते हैं कि न्याय की ज़रूरत है। हमें परमेश्वर के अधिन होना चाहिए और यदि वह कहता है, “कुछ नहीं बोलो” तो हमें वहाँ चुपचाप खड़े रहना और यह सोचना है कि वे सही हैं यद्यपि हम जानते हैं कि वे नहीं हैं। हमें कहना है, “हाँ प्रभु,” और स्वीकार करना है कि वह हमसे कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहता है। कितनी बार हम किसी की आत्मिक बढ़ोत्तरी को रोकते हैं और कितनी बार हम अपने जीवन में परमेश्वर के आशीषों को आने से रोक देते हैं। क्योंकि हम अपने शब्दों पर नियन्त्रण नहीं रख पाते हैं जो हमारे मुँह से बाहर आते हैं?

हममें से किसी का भी नाम जीवन की पुस्तक में नहीं लिखा हुआ होता यदि यीशु आधिन नहीं हुआ होता या उसने अपना मुँह खोला होता जब उसे नहीं खोलना था और वह हमारा आदर्श है। यीशु उस पर आश्रय रखने और इंतज़ार करने के लिए कहता है क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है।

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