
पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। – रोमियों 5:15
अनुग्रह उस ढंग में परमेश्वर के लिए जीवन व्यतीत करने की सामर्थ्य है जो व्यतीत करने के लिए उसने आपको बुलाया है। फिर भी, परमेश्वर, इस तरह हमें उसकी इच्छा के बाहर जीवन व्यतीत करने की अनुमति नहीं देता। अगर वो हमें कुछ नहीं करने के लिए कह रहा है और फिर भी हम उसे करते है, तो हम उसके अभिषेक के कष्टदायक घाटे को सहन करेंगे।
अनुग्रह, योग्यता समरूप होता है। परमेश्वर हमारे जीवनों में उसकी बुलाहट के समरूप हमें अनुग्रह देता है। जब हम हमारी अपनी बात करते है, तब हम इसे अपने आप ही करते है। जब हम उसकी अगुवाई का अनुसरण करते है, तब वह सदा वो करने के लिए अनुग्रह और ऊर्जा की पूर्ति करता जो उसने हमें करने के लिए बुलाया है।
उत्तम भाग यह है कि जबकि हमें उसका अनुग्रह प्राप्त करना चुनना होता है, हमें इसे पाने के लिए कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती। जब आप परमेश्वर की बुलाहट का अनुसरण करना चुनते है, वह आपकी सहायता करने को तैयार और इच्छुक होता है। यीशु आपके पापों को ढाँपने के लिए मर गया ताकि आप परमेश्वर के सामने धर्मी चाल चल सकें उस पवित्र आत्मा तक पहुंच के साथ जो आपको रोजमर्रा की जिंदगी के मार्गनिर्देशन करने में मदद करता है।
मैं आज आप से विनती करती हूँ कि आप उस अनुग्रह और योग्यता को पाने की एक स्थिति में आएं। अगर आप अपने मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे है, तो परमेश्वर से कहें कि आप उसके पीछे चलना और उसकी सहायता माँगना चाहते है। वह सदा आपको अपना अनुग्रह देने के लिए वफादार होगा।
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, मैं मेरे जीवन में आपके अनुग्रह के बिना सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत नहीं कर सकती हूँ। मैं आपकी बुलाहट का अनुसरण करना चाहती हूँ, और मैं आपको जिस ढंग में आप चाहते कि मैं जीवन व्यतीत करूँ वैसा व्यतीत करने में हर दिन मेरे लिए आपकी सहायता को माँगती हूँ।