
मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। (यशायाह 55:8)।
एक बार हमारा पुत्र डेविड, जो कि हमारे मिशन डिपार्टमेंट की अगुवाई करता है, मेरे पास नौकरी पर किसी को कैसे रखना है के लिए एक सलाह माँगने को आया। उसने महसूस किया कि परमेश्वर चाहता था कि वो किसी उस व्यक्ति को नौकरी दे जिसे उसने स्वाभाविक तौर पर नहीं चुना था। उसने कई योग्य व्यक्तियों को नौकरी पर रखने का प्रयास किया, पर उनमें से प्रत्येक नौकरी को छोड़ कर चला गया। उसने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर ऐसे व्यक्ति को चाहता है जिसे मैंने ना चुना हो।”
परमेश्वर आज की आयत में कहता है, “मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।” (यशायाह 55:8)। वह व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने डेविड के दिल में रखा था केवल वही नौकरी के लिए वास्तविक ढंग में दिलचस्प था। हम जानते है कि यह परमेश्वर की हमें खुले और बंद द्वारों के द्वारा हमारी सुनने की सहायता करने का एक और उदाहरण था। परमेश्वर सदा एक सबसे योग्य व्यक्ति को एक नौकरी या लक्ष्य नहीं देता है। अक्सर, एक व्यक्ति के दिल का व्यवहार अनुभव या साख से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है; विशेषकर सेवकाई के पदों में।
मैंने यह जाना है कि जो परमेश्वर करने के लिए चुनता वो सदा हमें समझ नहीं आता है; यह सदा हमारे तर्क में उपयुक्त नहीं होता है। हमारे मन सदा उस आत्मिक अगुवाई को नहीं समझते जो परमेश्वर से हमारे पास आती है। उसके विचार सचमुच हमारे विचारों से ऊपर है! उसके सभी मार्ग सही और दृढ़ होते है।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः अपने आत्मा को अगुवाई करने की अनुमति दें और अपने दिमाग को अगुवाई ना करने दें।